बहुत तेजी से चल रहा टीकाकरण अभियान, अंधविरोध से बाज आए विपक्ष
टीकाकरण अभियान अब महाअभियान का रूप ले चुका है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह कागजों पर नहीं वरन ठोस धरातल पर साफ दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस शासित राज्यों में वैक्सीन के कुप्रबंधन पर खामोश क्यों हैं राहुल गांधी?
जहां तक केंद्र सरकार के रूख की बात है, वो बेकार की राजनीति में पड़े बिना कोरोना की रोकथाम और टीकाकरण में लगी हुई है।
कोरोना संकट के दौर में और निखरकर सामने आया प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व
आजाद भारत के इतिहास की इस सबसे बड़ी आपदा में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाए रखा, जिस सक्रियता से निर्णय लिए और जिस दूरदर्शितापूर्ण कार्यशैली का परिचय दिया उसने न केवल देश के हालातों को संभाला बल्कि आगे की राह दिखाते हुए निराश हो रही जनता में आशा का संचार भी किया।
मोदी 2.0 : चुनौतियों को अवसर में तब्दील करने वाले दो वर्ष
मोदी ने सूझबूझ का परिचय देते हुए तीन महीने का सख्त लॉकडाउन लगाया एवं बाद में अनलॉक जैसे उपायों को ढील के साथ श्रृंखलाबद्ध रूप से लागू किया।
विरोधियों के लिए नामुमकिन है मोदी को समझना
उनका जितना विरोध होता है, जितना अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है, उतना ही वह आगे बढ़ते जाते हैं। विपक्ष देखता रह जाता है, नरेंद्र मोदी आगे निकल जाते हैं।
कोरोना पर ‘केरल मॉडल’ की तारीफों के पुल बाँधने वाले वहाँ बढ़ते संक्रमण पर खामोश क्यों हैं?
अब जब पूरा देश कोरोना मुक्त होता जा रहा है तब केरल में कोरोना अभी भी कहर बनकर टूट रहा है। देश के कुल मामलों का 40 पतिशत केरल से आ रहा है।
कोरोना वैक्सीन पर राजनीति विपक्ष की मुद्दाहीनता को ही दिखाती है
कोरोना आपदा से लेकर उसकी वैक्सीन तक विपक्ष की राजनीति दर्शाती है कि इस देश में विपक्ष किस कदर मुद्दाहीन हो गया है।
कोरोना से लड़ाई में भारत का उम्दा प्रदर्शन
एक तरफ, भारत में कोरोना वायरस के आक्रमण की धार कुंद पड़ गई है, तो दूसरी तरफ भारत ने कोरोना वायरस का टीका आम लोगों को लगाने की तैयारी भी पूरी कर ली है।
कोरोना वैक्सीन पर अखिलेश यादव का बयान दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, आपत्तिजनक भी है
कोरोना महामारी से लेकर उसकी वैक्सीन तक भारतीय राजनीति में विपक्षी दलों ने विरोध के लिए विरोध की जो राजनीति की है, वो शर्मनाक और निंदनीय है।
अर्थव्यवस्था के सभी मानकों में लगातार हो रहा सुधार
अर्थव्यवस्था के सभी मानकों में लगातार सुधार होने से अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है। जीएसटी संग्रह में और भी इजाफा होने की उम्मीद है।