देशवासियों में ‘स्व’ का भाव जगाने के लिए सतत प्रयासरत है संघ
संघ के शून्य से इस स्तर तक पहुंचने के पीछे इसके द्वारा अपनाई गई विशेषताएं यथा परिवार परंपरा, कर्तव्य पालन, व सामूहिक पहचान आदि विशेष रूप से जिम्मेदार हैं।
इतिहास के कंधे पर बैठकर झूठ की राजनीति करना कब छोड़ेगी कांग्रेस ?
उचित होगा कि कांग्रेस अपनी वर्तमान दुर्दशा को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करे तथा अपने अहंकारी चरित्र का त्याग करते हुए स्वयं में सुधार लाने का प्रयास करे।
पत्रकारिता में शुचिता, नैतिकता और आदर्श के पक्षधर थे दीनदयाल उपाध्याय
दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय विचार की पत्रकारिता के पुरोधा अवश्य थे, लेकिन कभी भी संपादक या संवाददाता के रूप में उनका नाम प्रकाशित नहीं हुआ।
सांस्कृतिक अस्मिता को राजनीति के केंद्र में स्थापित करने वाले जननेता थे कल्याण सिंह
कल्याण सिंह का देहावसान राजनीति के एक युग का अंत व अवसान है। वे भारतीय राजनीति के शिखर-पुरुष के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
देश की साख से खेलते राहुल गांधी
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कमाल के नेता हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की आलोचना के फेर में किस तरह देश की साख से खेल बैठते हैं।
विवेकानंद शिला स्मारक : ऐसा स्मारक जिसके निर्माण ने विभिन्न विचारधाराओं को एक कर दिया
देश-विदेश में हजारों स्मारकों का निर्माण हुआ है लेकिन शायद ही कोई ऐसा स्मारक हो जो जीवित हो। 1970 में राष्ट्र को समर्पित किया गया “विवेकानंद शिला स्मारक” एक ऐसा स्मारक है जो आज भी विवेकानंद जी के विचारों को जीवंत बनाए हुए है। 25, 26, 27 दिसंबर 1892 को स्वामी विवेकानंद ने भारत के अंतिम छोर कन्याकुमारी में स्थित शिला पर साधना करने के बाद भारत के
गुरूजी का संगठन मंत्र और तंत्र आज भी प्रासंगिक
गुरूजी को यह कदापि पसन्द नहीं था कि कोई भी सेवा-कार्य जनता पर उपकार की भावना से किया जाए। उनके अनुसार ” सेवा हिन्दू जीवन – दर्शन की प्रमुख विशेषता है।
भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले हिंदू-हिंदुत्व की बात किस मुंह से कर रहे हैं ?
राहुल गांधी ने जिस ढंग से हिंदुत्व को हिंदू से अलग करके स्वयं की परिभाषा थोपने की जो कोशिश की है, वह विचित्र और भ्रामक है।
अंबेडकर के विचारों को सही मायने और संदर्भों में आत्मसात करना ज़रूरी
बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर अपने अधिकांश समकालीन राजनीतिज्ञों की तुलना में राजनीति के खुरदुरे यथार्थ की ठोस एवं बेहतर समझ रखते थे।
विद्या भारती के विद्यालयों की तुलना पाकिस्तानी मदरसों से कर राहुल गांधी ने कांग्रेस का वैचारिक स्तर ही दिखाया है
सत्ता के लिए समाज में विभाजन की ऐसी गहरी लकीर खींचना स्वस्थ एवं दूरदर्शिता पूर्ण राजनीति नहीं है। राहुल गांधी यह सब जिस भी रणनीति के अंतर्गत कर रहे हों, पर यह रणनीति देश की छवि को दाँव पर लगाने वाली है।