जयंती विशेष : पंडित दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानवदर्शन
एकात्म मानव दर्शन भारत की सनातन संस्कृति एवं चिरंतन जीवन-पद्धत्ति की युगीन व्याख्या है। परस्पर सहयोग एवं आंतरिक-तात्विक जुड़ाव पर अवलंबित रहने के कारण यह विस्तारवादी-साम्राज्यवादी प्रवृत्तियों एवं महत्ववाकांक्षाओं पर विराम लगा विश्व-बंधुत्व की भावना को सच्चे एवं वास्तविक अर्थों में साकार करता है। सरलता और सादगी की प्रतिमूर्त्ति पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुमुखी एवं विलक्षण
भारत की सनातन संस्कृति एवं चिरंतन जीवन-पद्धति की युगीन व्याख्या है एकात्म मानववाद
उन्होंने मनुष्य का समग्र चिंतन करते हुए जिस दर्शन का प्रवर्त्तन किया, उसे पहले ‘समन्वयकारी मानववाद’ और बाद में ‘एकात्म मानववाद’ नाम दिया।