सभी विघटनकारी शक्तियों को विफल करने का मंत्र है – भारत माता की भक्ति
देश एक करवट ले रहा है। सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक वातावरण भारत में दिखायी देने लगा है। अमृतकाल को अवसर मानकर एक बार फिर भारत अपने ‘स्व’ की ओर बढ़ रहा है।
सामाजिक समरसता के लिए समर्पित गुरुजी गोलवलकर का जीवन
संघ की शाखा पर सामाजिक समरसता को जीनेवाले लाखों स्वयंसेवक गुरुजी के आह्वान पर ‘हिन्दव: सोदरा: सर्वे’ के मंत्र को लेकर समाज के सब लोगों के बीच में गए।
संघ की संकल्पना : ‘सेवा उपकार नहीं, करणीय कार्य है’
देश के किसी भी हिस्से में, जब भी आपदा की स्थितियां बनती हैं, तब राहत/सेवा कार्यों में राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के कार्यकर्ता बंधु अग्रिम पंक्ति में दिखाई देते हैं। चरखी दादरी विमान दुर्घटना, गुजरात भूकंप, ओडिसा चक्रवात, केदारनाथ चक्रवात, केरल बाढ़ या अन्य आपात स्थितियों में संघ के स्वयंसेवकों ने पूर्ण समर्पण से राहत कार्यों में अग्रणी रहकर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।