बलात्कार पर राजनीति की परम्परा तो इस देश में नेहरू-इंदिरा के समय से रही है!
उन्नाव और कठुआ में हुई बलात्कार की घटनाओं ने एक बार फिर वोट बैंक की राजनीति करने वालों को उर्वर जमीन मुहैया करा दी। यदि यही उन्नाव की घटना किसी गैर-भाजपा शासित राज्य में घटी होती, तो मानवाधिकार के स्वयंभू नेता घरों से बाहर न निकलते। इसी प्रकार यदि कठुआ में पीड़ित लड़की हिंदू होती, तो सभी की जुबान सिल जाती। इसका ज्वलंत उदाहरण है 10 अप्रैल को बिहार के सासाराम में छह साल की मासूम