पूर्व फौजी की आत्महत्या पर अपनी घटिया राजनीति से बाज आएं विपक्षी!
पिछले दो साल से चल रहा असहिष्णुता का नाटक इस देश में कब समय की गर्त में समा गया, किसी को पता भी नहीं चला, पर चंद एसी स्टूडियो की कुर्सियों पर बैठे प्रवंचक बुद्धिजीवियों की कॉफी के प्यालों में उठा तूफान इस देश का असली मिजाज नहीं दिखाता। यह देश इन बौद्धिकों की लफ्फाजी को बहुत मुद्दत और शिद्दत से पहचान गया है, इसलिए उन पर ध्यान भी नहीं देता।