लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने नए भारत की उपलब्धियों और आकांक्षाओं को स्वर दिया है!
मोदी ने स्वयं को कभी भी शासक अथवा राष्ट्राध्यक्ष की तरह नहीं, अपितु सदैव एक सेवक या सदस्य के तौर पर ही बताया है, उसी अनुसार आचरण भी किया है।
मोदी द्वारा लाल किले पर फिर झण्डा फहराने का वादा 140 करोड़ लोगों से मिले आत्मबल का ही प्रसाद है!
आप पूछेंगे कि मोदी देश को तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने का वादा कर रहे हैं, क्या ये प्राप्य है? भारत तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा, ये वादा नहीं विश्वास है।
स्वतंत्रता दिवस विशेष : भारत के स्वाभिमान, स्वतंत्रता, आकांक्षा तथा आदर्श का प्रतीक है तिरंगा!
18 जुलाई, 1947 को हमारे तिरंगा को एक मानक रुप प्रदान किया गया और भारत के राष्ट्रध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने स्वीकार किया था और 26 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अंगीकार किया गया।
‘भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’
भारत का विभाजन और स्वतन्त्रता इतिहास के एक ही अध्याय में है। भीषण त्रासदी और विभाजन की काली रात के बाद स्वतन्त्रता का प्रकाश हुआ था।
हर घर तक नल से जल पहुंचाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही मोदी सरकार
जल जीवन मिशन के तहत पिछले एक साल में ही दो करोड़ घरों तक पाइप से पीने का पानी पहुंचा दिया गया है। कोरोना काल के इस दौर में रोजगार की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह योजना वरदान साबित हुई है।
आत्मनिर्भर भारत का अर्थ विदेशी आयात रोकना नहीं, अपनी क्षमता और सृजनात्मकता को बढ़ाना है
जहां तक आत्मनिर्भर होने की बात है, यह केवल कोई सरकारी अभियान नहीं बल्कि स्वावलंबन की वह भावना है जो स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देती है।
लाल किले की प्राचीर से आत्मनिर्भर भारत का संदेश
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नई शिक्षा नीति का एक बड़ा योगदान होगा, लेकिन यह कुछ महीनों में हासिल होगा, ऐसा हमें नहीं सोचना चाहिए।
अब जल शक्ति घर लौटे कामगारों का बनेगा आधार
इससे राज्यों की पेय जल की समस्या का हल भी निकाला जा सकेगा, साथ ही घर वापस गए कामगारों को रोजगार भी दिया जा सकेगा।
वो तीन काम जिनसे विशेष हो गया इसबार का स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस का प्रत्येक समारोह गरिमापूर्ण होता है। पूरा देश इसमें उत्साह के साथ सम्मलित होता है। यह हमारी राष्ट्रीय परम्परा है। लेकिन इस बार का पन्द्रह अगस्त विशेष कहा जा सकता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इसकी तैयारी कुछ दिन नहीं बल्कि कई महीनों से चल रही थी।
हमें समझना होगा कि आजादी का मतलब सिर्फ अधिकार नहीं, कर्तव्य भी है!
आज देश अपना बहत्तरवां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ऐसे में इस सवाल पर चर्चा होनी चाहिए कि आखिर स्वतंत्रता से हम क्या समझते हैं? आजादी का हमारे लिए क्या मतलब है ? एक स्वतंत्र देश में हमें क्या करना चाहिए? आज यह सवाल हमें हमें खुद से बार-बार पूछने चाहिए