स्वदेशी

जयंती विशेष : स्वदेशी के महत्व को बताता है छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन

शिवाजी महाराज ऐसे नायक हैं, जिन्होंने मुगलों और पुर्तगीज से लेकर अंग्रेजों तक, स्वराज्य के लिए युद्ध किया। भारत के बड़े भू-भाग को आक्रांताओं के चंगुल से मुक्त कराकर, वहाँ ‘स्वराज्य’ का विस्तार किया। जन-जन के मन में ‘स्वराज्य’ का भाव जगाकर शिवाजी महाराज ने समाज को आत्मदैन्य की परिस्थिति से बाहर निकाला। ‘स्वराज्य’ के

दीपावली विशेष : अबकी इस प्रकार करें लक्ष्मी पूजन !

स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व हमारे देशवासियों ने भावी भारत के रूप में सशक्त और समृद्ध राष्ट्र का सपना देखा था। उन्हें विश्वास था कि अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिलते ही हम भारतीयों का ‘स्वराज्य’ स्वावलम्वन से सशक्त और सम्पन्न बनकर ‘सुराज’ की स्वार्णिम कल्पनाएं साकार करेगा। प्रख्यात सुकवि-नाटककार जयशंकर प्रसाद कृत ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक के निम्नांकित गीत में इस जनभावना की अनुगूँज दूर तक सुनाई देती है-

आईएनएस विक्रांत : आत्मनिर्भर भारत की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक

आईएनएस विक्रांत स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। खास बात यह है कि इसके एयरबेस में जो स्टील लगा है, वो स्टील भी स्वदेशी है।

अपनी जड़ों से जुड़कर मानसिक दासता से मुक्त होगा भारत!

भारत अपनी जड़ों से जितना अधिक जुड़ेगा, उतना ही उसमें आत्मगौरव और आत्मविश्वास की भावना का विकास होगा तथा मानसिक दासता से मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

आत्मनिर्भर भारत का अर्थ विदेशी आयात रोकना नहीं, अपनी क्षमता और सृजनात्मकता को बढ़ाना है

जहां तक आत्‍मनिर्भर होने की बात है, यह केवल कोई सरकारी अभियान नहीं बल्कि स्‍वावलंबन की वह भावना है जो स्‍वदेशी निर्माण को बढ़ावा देती है।

मोदी जिस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे, वो कांग्रेसी सरकारों के एजेंडे में कभी था ही नहीं

12 मई को राष्‍ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के दौर में अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने के लिए बीस लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का एलान किया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अर्थव्‍यवस्‍था के सभी क्षेत्रों में सुधार की बात कही ताकि आत्‍मनिर्भर भारत का ख्‍वाब हकीकत में बदल सके।

घरेलू रक्षा उत्‍पादन में क्रांति लाने में कामयाब रही मोदी सरकार

जिस देश में एक पर्व (विजयदशमी) विशेष रूप में शस्‍त्र पूजन के लिए हो वह देश दुनिया में हथियारों का अग्रणी आयातक हो तो इसे विडंबना ही कहा जाएगा। देश में अस्‍त्र-शस्‍त्र निर्माण की बहुत पुरानी परंपरा रही है। आधुनिक संदर्भ में देखें तो भारतीय रक्षा उद्योग की नींव 200 साल पहले ब्रिटिश काल में रखी गई।