परिवारवाद के चंगुल में फँसी पतन की ओर बढ़ती कांग्रेस
राजस्थान विधानसभा के बाद सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बनकर उभरे थे लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दी।
गुजरात चुनाव परिणाम : विकास की राजनीति के आगे चारों खाने चित हुई जातिवादी राजनीति !
हिमाचल को बचाने और गुजरात को पाने का कांग्रेसी सपना बिखर गया। उसकी झोली से एक राज्य और कम हो गया। इस बार उसकी उम्मीद बुलन्दी पर थी। जातिवादी आंदोलन के युवा नेताओं को गले लगाया। बड़े जतन से बनाई गई सेकुलर छवि में बदलाव के लिए प्रयास किए। लेकिन कोई भी नुस्खा काम नही आया। नोटबन्दी, जीएसटी, ईवीएम पर आरोप लगाने जैसे सभी अस्त्र-शस्त्र निरर्थक साबित हुए। इसका दूरगामी प्रभाव
विकास बनाम जातिवाद की लड़ाई का अखाड़ा बना गुजरात चुनाव
गुजरात में विधानसभा चुनाव इस बार साफ़ तौर पर विकास बनाम जातिवाद के मुद्दे पर केन्द्रित हो गया है। वैसे, आदर्श राजनीतिक व्यवस्था यही होगी कि चुनाव जातिवाद, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर लड़ें जाएँ। जातिवाद को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए हम अक्सर उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं को बदनाम करते हैं, लेकिन गुजरात में कांग्रेस लगता है ये तय करके बैठी थी कि अबकी जातिवाद और आरक्षण के नाम पर ही
सीडी काण्ड में सबसे ज्यादा सवाल खुद हार्दिक पटेल पर ही उठते हैं !
गुजरात में मतदान की तारीख जैसे–जैसे करीब आ रही, वैसे-वैसे रोज़ कुछ न कुछ नया सियासी भूचाल आ रहा है। चुनावी समर के मध्य पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल का एक अन्तरंग वीडियो जैसे ही सामने आया गुजरात का सियासी पारा अपने परवान पर चढ़ गया। दरअसल, इस वीडियो में हार्दिक पटेल किसी होटल के कमरे में एक लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहें हैं। गुजरात के चुनावी
गुजरात चुनाव : विकास की राजनीति बनाम विद्वेष की राजनीति
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दोनों राज्यों में अपनी सरकार बनाने के लिए भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने स्तर पर जुटे हुए हैं। लेकिन, यहां दोनों दलों के काम करने के, प्रचार करने के तरीके में अंतर स्पष्ट नज़र आता है। एक तरफ जहां भाजपा सकारात्मक ढंग से प्रचार कर रही है, वहीं कांग्रेस सस्ते हथकंडे अपनाकर थोथी राजनीति दिखाने से बाज नहीं आ रही। इसी के समानांतर नेताओं
गुजरात ने अगर 2014 को दोहरा दिया तो मिशन-150 जरूर प्राप्त करेगी भाजपा !
गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही प्रदेश में सियासी पारा उफान पर है। आमतौर पर गुजरात की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस दो ही दलों की सीधी लड़ाई रहती है। फिर भी अलग-अलग चुनावों के दौरान कुछ छोटे दलों का उभार देखने को मिलता रहा है। लेकिन अबतक के नतीजों का मजमून यही है कि गुजरात की राजनीति भाजपा बनाम कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही रही है और लंबे समय से कांग्रेस का
गुजरात चुनाव : विकास के मुद्दे पर मात खाने के बाद जातिवादी राजनीति पर उतरी कांग्रेस
गुजरात में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस अपने तरकश के सभी तीर आजमाती रही है। लेकिन, पिछले तीन विधानसभा चुनाव में उसे कामयाबी नही मिली। इस बार स्थिति बदली थी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए। कांग्रेस को लगा कि इस बार मुकाबला पहले की अपेक्षा आसान होगा। राहुल गांधी ने मोर्चा खोल दिया।