‘हिन्दू आतंकवाद’ का झूठ फैलाने के लिए देश से कब माफ़ी मांगेगी कांग्रेस !
गत ग्यारह वर्षों से आतंकवाद की साज़िश का शिकार होकर जेल यंत्रणा झेल रहे असीमानन्द को अंततः न्याय मिला। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया। यह मसला पांच लोगों की रिहाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से भगवा आतंकवाद शब्द भी निर्मूल साबित हुआ। यह शब्द दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को अपमानित करने वाला था। ऐसा करने वालों के अपराध की भी
‘भगवा आतंकवाद’ की धारणा स्थापित करने के कांग्रेसी मंसूबों पर फिरता पानी
भगवा आतंकवाद शब्द के प्रणेता दिग्विजय सिंह, पी चिदम्बरम और उनके साथी निराश हैं। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बाद कर्नल श्रीकांत पुरोहित को कोर्ट से जमानत मिल गई। यह अंतिम फैसला नहीं है। लेकिन क्या यह कम है कि सुप्रीम कोर्ट ने अब तक पुख्ता प्रमाण न मिलने की ओर खासतौर पर ध्यान दिया। नौ वर्षो बाद भी जांच एजेंसियां एकरूपता से रिपोर्ट तक नही बना सकीं। इसका मतलब है कि अब तक भगवा
‘हिन्दू आतंकवाद’ की धारणा स्थापित करने के लिए रची गयी कांग्रेसी साजिशों की खुलने लगी परतें
एक अंग्रेजी समाचार चैनल ने वर्ष 2008 से जुड़ा एक ऐसा खुलासा किया है, जो बेहद चौकाने वाला है। टाइम्स नाऊ ने फाइल्स नोटिंग से मिली जानकारी के आधार पर यह दावा किया है कि कांग्रेसनीत संप्रग-2 सरकार ने मालेगाँव एवं अजमेर ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत से पूछताछ करने के लिए एनआईए पर दबाव बनाया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कांग्रेस के शीर्ष