तय करें मुसलमान, वे हैदर रज़ा के साथ हैं या मकबूल फ़िदा हुसैन के साथ ?
सैयद हैदर रज़ा साहब के बारे में सोचते हुए यह लेख लिख रहा हूँ जो अभी 23 जुलाई को ही दिवंगत हुए हैं। स्वभाव की तरह यहां भी एंगल राष्ट्रवादी ही है और इस बड़े आदमी की तुलना अकस्मात मकबूल फ़िदा हुसैन जैसे दोयम दर्जे के व्यक्ति से कर बैठ रहा हूं। एक तरफ हैदर रजा हैं दूसरी तरफ मकबूल।