आतंकवादियों की शवयात्रा निकालने पर पूरी तरह से रोक लगाने की जरुरत
भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में बुरहान मुजफ्फर वानी की मौत के बाद निकले जनाजे में जमकर उत्पात हुआ। करीब 30 जानें जा चुकी हैं। अभी कितनी जान जाएगी, बता पाना मुश्किल है। हिंसक प्रदर्शन की वजह से अमरनाथ यात्रा रोकनी पड़ी है। हिंदुस्तान में हर साल करीब एकाध आतंकवादी ऐसा होता है, जिसकी शवयात्रा के दौरान हंगामा होता है।
रामनाथ गोयनका की आत्मा रो रही होगी अपने सम्पादक की करतूतों पर!
वर्ष 2015, जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में दो बड़ी घटनाएँ हुईं। देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का निधन २७ जुलाई को हुआ और उसके ठीक तीन दिन बाद मुंबई हमले के दोषी आतंकी याकूब मेनन को फांसी हुई। आज एक साल बाद देश फिर उसी मुहाने पर खड़ा है। पाकिस्तान के मशहूर समाजसेवी अब्दुल ईदी सत्तार का हाल ही में निधन हुआ है और काश्मीर में हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी को सेना ने एक मुठभेड़ में मार गिराया है।