दलितों-पिछड़ों के नाम पर भाजपा को कोसने वाले अपने गिरेबान में झांके
वर्तमान दौर अवधारणा आधारित राजनीति का दौर है. प्रत्येक राजनीतिक दल को लेकर एक निश्चित अवधारणा का बन जाना भारतीय राजनीति में आम हो चुका है. देश के यूपी एवं बिहार जैसे राज्यों की राजनीति में जातीय समीकरणों का चुनावी परिणाम में खासा महत्व होता है. लेकिन बिहार में भाजपा को लेकर यह भरसक प्रचार किया गया कि भाजपा सवर्ण-ब्राह्मणवादी आरक्षण विरोधी राजनीतिक दल है.
मोदी राज में दलितों आदिवासियों के आये अच्छे दिन
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दलितों और आदिवासियों को अत्याचार से मुक्ति दिलाकर समरसता लाने के अंबेडकर के सपने को पूरा करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार ने दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए एससी/एसटी कानून में व्यापक बदलाव किया है। नए प्रावधानों से अब दलितों
दलित-मुस्लिम एकता एक छलावा भर है
अभिनव प्रकाश यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बहुत कम लोगों का ध्यान इस पर गया कि 2016 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुए सबसे बड़े नरसंहार के 45 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जबकि यह नरसंहार भारतीय उपमहाद्वीप बांग्लादेश में हुआ था, जो उस समय पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। पाकिस्तान ने