राष्ट्रवाद के खिलाफ बन रहा इस्लाम और वाम गठबंधन
गत दिनों काश्मीर की घाटी में हिजबुल के आतंकवादी बुरहान को भारतीय सेना के जवानों ने एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया और साथ में इस्लामिक आतंकवाद की काली रात में टिमटिमाते तारे को भी लुप्त कर दिया है। इस आतंकी की मौत के बाद भी भारत ने वही मंजर देखा है जो पिछले कई सालों से देखता आरहा है।
रामनाथ गोयनका की आत्मा रो रही होगी अपने सम्पादक की करतूतों पर!
वर्ष 2015, जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में दो बड़ी घटनाएँ हुईं। देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का निधन २७ जुलाई को हुआ और उसके ठीक तीन दिन बाद मुंबई हमले के दोषी आतंकी याकूब मेनन को फांसी हुई। आज एक साल बाद देश फिर उसी मुहाने पर खड़ा है। पाकिस्तान के मशहूर समाजसेवी अब्दुल ईदी सत्तार का हाल ही में निधन हुआ है और काश्मीर में हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी को सेना ने एक मुठभेड़ में मार गिराया है।