आखिर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कैसे बनी भाजपा ?
भारत की राजनीति में दलीय व्यवस्था का उभार कालान्तर में बेहद रोचक ढंग से हुआ है। स्वतंत्रता के पश्चात कांग्रेस का पूरे देश में एकछत्र राज्य हुआ करता था और विपक्ष के तौर पर राज गोपाल चारी की स्वतंत्र पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी सहित बहुत छोटे स्तर पर जनसंघ के गिने-चुने लोग होते थे। उस दौरान भारतीय राजनीति में एक दलीय व्यवस्था के लक्षण दिख रहे थे। सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद आजाद हुए
भारत ही नहीं, समूचे विश्व के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं अटल बिहारी वाजपेयी
‘हार नहीं मानूंगा, रार ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ’ जैसीे कविताओं से सभी के ह्रदय को जीतने वाले महान भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय परिप्रेक्ष्य में हुए, जिन्होंने राजनीति के साथ साहित्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी चलाकर हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाया और पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुटकर देश को आगे ले जाने में अपना बहुमूल्य योगदान देना शुरू किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित
अटल बिहार वाजपेयी : एक कवि-ह्रदय राजनेता
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शिंके का बाड़ा मुहल्ले में हुआ था। उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापन का कार्य करते थे और माता कृष्णा देवी घरेलू महिला थीं। अटलजी अपने माता-पिता की सातवीं संतान थे। उनसे बड़े तीन भाई और तीन बहनें थीं। अटलजी के बड़े भाइयों को अवध बिहारी वाजपेयी, सदा बिहारी वाजपेयी तथा प्रेम बिहारी वाजपेयी के नाम
भारतीय राजनीति के ‘राजर्षि’ हैं अटल बिहारी वाजपेयी
आपने वर्णमाला भी अभी पूरी तरह से सीखी नहीं हो और कहा जाय कि निराला के अवदान पर कोई निबंध लिखें; ‘दिनकर’ पर टिप्पणी आपको तब लिखने को कहा जाय जब आपने विद्यालय जाना शुरू ही किया हो, इतना ही कठिन है राजनीति के अपने जैसे किसी शिशु अध्येता के लिए अटल जी पर कुछ लिखना। और अगर साहित्य के साधक ऋषि का ‘राजर्षि’ में रूपांतरण या साहित्य और राजनीति दोनों को दूध और