जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के वंचितों को मोदी सरकार से मिला न्याय
अब जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के अनुसूचित जातियों और जनजातियों को केन्द्रीय कानून के आधार पर आरक्षण का लाभ मिल सकेगा जिससे उन्हें काफी राहत मिलने वाली है और उनके सशक्तिकरण में यह मील का पत्थर साबित होने वाला है।
जम्मू-कश्मीर में लिखी जा रही परिवर्तन की पटकथा की महत्वपूर्ण कड़ी है नयी भाषा नीति
पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘जम्मू कश्मीर अधिकारिक भाषा बिल 2020’ को पारित करते हुए जम्मू-कश्मीर के लिए नयी भाषा नीति की घोषणा कर दी गयी।
जम्मू-कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्थितियों से लेकर वहाँ के शासन-प्रशासन और उनकी दैनिक कार्यशैली में बड़े बदलाव आए हैं।
जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद-370 की समाप्ति से टूटी आतंकवाद की कमर, पनप रही विकास की नयी संभावनाएं
370 में हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में 36% की कमी आई है। गत वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच 188 आतंकी गतिविधियाँ दर्ज की गई जबकि इसी अवधि में इस वर्ष 120 आतंकी गतिविधियाँ दर्ज की गई।
ओवैसी के राम मंदिर विरोध के मूल में मुस्लिम लीग वाली मानसिकता ही कारण है
केंद्र में कांग्रेसी सरकारों का प्रायः समर्थन करने वाला ओवैसी का दल (एआईएमआईएम) भाजपा सरकार के प्रत्येक कार्य पर उंगली उठाता रहा है।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद बदल रही जम्मू-कश्मीर की तस्वीर
यह कहना गलत नहीं होगा कि इस एक साल में कश्मीर की छवि इसकी पूर्ववर्ती छवि से विपरीत बनती जा रही है। जो क्षेत्र विध्वंस, पिछड़ेपन का पर्याय बन गया था, वह अब प्रगति के सोपान चढ़ रहा है।
जम्मू-कश्मीर का शेष भारत से सही अर्थों में एकीकरण करने में कामयाब रही मोदी सरकार
अनुच्छेद-370 खत्म होने के एक लगभग एक साल पूरे होने पर आज हम देख सकते हैं कि सुरक्षा बलों की मुस्तैदी से न केवल आतंकवाद-अलगाववाद में कमी आई है, बल्कि आम जनता को राहत मिली है।
अनुच्छेद-370 हटने के एक साल में शांति और विकास के पथ पर बढ़ चला है जम्मू-कश्मीर
पहले जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा जारी की गयी विकास की राशि का ठीक से इस्तेमाल भी नहीं हो पा रहा था। लेकिन अब इसी एक साल के अन्दर कश्मीर के गाँवों में 20,000 से ज्यादा छोटे बड़े विकास कार्यों की आधारशिला रखी गई है
मोदी 2.0 : वैचारिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाला एक साल
नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल को हम वैचारिक संकल्प की कसौटी पर परखें तो समझ में आता है कि आज़ादी के उपरांत जनसंघ के समय से जो वादें पार्टी करती आ रही थी, उन्हें पूरा करने का यश नरेंद्र मोदी को प्राप्त हुआ है।
वैचारिक प्रतिबद्धताओं को अमल में लाती मोदी सरकार
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में संसद किसी एक व्यक्ति पर केन्द्रित रही है, तो वह गृह मंत्री अमित शाह हैं। एनआईए संशोधन बिल से लेकर अनुच्छेद 370 हटाने तक का ऐतिहासिक निर्णय हो, गृहमंत्री ने अपने भाषण और अपनी कार्यशैली से अपने आलोचकों को भी प्रभावित किया है। संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के ठीक पहले नागरिकता संशोधन विधेयक सदन में पारित हो गया।