नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने वाले बताएं कि पुराने कानूनों के रहते खेती घाटे का सौदा क्यों बन गयी?
नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने वाले किसान यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि पुराने कानूनों से खेती-किसानी घाटे के सौदे में क्यों तब्दील हो गई?
किसानों के हित में हैं नए कृषि कानून, सवालों के घेरे में किसान आंदोलन
नये कृषि क़ानून से किसान एपीएमसी मंडी के बाहर भी अपनी उपज को वाजिब कीमत पर बेच सकेंगे और जरूरत पड़ने पर अपनी उपज का भंडारण भी कर सकेंगे।
किसान आंदोलन के नामपर अराजकता का प्रदर्शन
इन दिनों देश में तथाकथित किसान आंदोलन चल रहा है। तथाकथित इसलिए क्योंकि इसे किसान आंदोलन तो कहा जा रहा है लेकिन यह हंगामा कहीं से आंदोलन नहीं प्रतीत होता है।
लोकतंत्र के लिए घातक है आंदोलन की आड़ में अराजकता
संसदीय प्रक्रियाओं को खुलेआम चुनौती देने, संस्थाओं को ध्वस्त एवं अपहृत करने तथा क़ानून-व्यवस्था को बंधक बनाने की निरंतर बढ़ती प्रवृत्ति देश एवं लोकतंत्र के लिए घातक है।
‘आपातकाल के विरोध में उठा हर स्वर वंदन का अधिकारी है’
आपातकाल के दौरान मैं बक्सर व आरा की जेल में बंद रहा था। वो संघर्ष और यातना का दौर था। उस समय मेरे जैसे लाखों युवा देश की विभिन्न जेलों में बंद थे।