दिखने लगे हैं आईबीसी क़ानून के सकारात्मक परिणाम
ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं, हालाँकि, इसका सफर मुश्किलों भरा रहा है। लंबे समय की रणनीति और निरंतर सुधार की परिणति है यह। दूसरे देशों में भी इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन हेतु आईबीसी को लाने में लंबा समय लगा है।
आईबीसी क़ानून के जरिये फंसे कर्ज की वसूली से बैंकों की वित्तीय स्थिति में तेजी से हो रहा सुधार
भले ही बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) का इलाज लोगों को मुश्किल लग रहा है, लेकिन सरकार और बैंकों के प्रयास से मामले में सकारात्मक परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं। एक तरफ सरकार समय-समय पर बैंकों को विभिन्न जरूरतों, उदाहरण के तौर पर, नियामकीय और फंसे कर्ज आदि के लिये पूँजी मुहैया करा रही है तो दूसरी तरफ नये-नये क़ानूनों जैसे, भगोड़ा विधेयक,