लगातार राजनीतिक जमीन खो रही है आम आदमी पार्टी
पंजाब, गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश के बाद अब हरियाणा और महाराष्ट्र में भी आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त मिली है। साल भर पहले पार्टी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का ऐलान किया था और नवीन जयहिंद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी ने विधानसभा की 90 में से
घटती लोकप्रियता की हताशा में सस्ती राजनीति पर उतरे केजरीवाल
कांग्रेस से गठबंधन में नाकाम रहने, आप विधायकों के पार्टी छोड़ने, घटती लोकप्रियता जैसे कारणों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती दिख रही है। इसीलिए वह नुस्खे की राजनीति पर उतर आए हैं।
कांग्रेस के इंकार के बाद अलग-थलग पड़े केजरीवाल
कांग्रेसी भ्रष्टाचार की पैदाइश अरविंद केजरीवाल ने खुलेआम अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि वे कभी भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगे। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल कई महीनों से कांग्रेस से गठबंधन की भीख मांगते फिर रहे थे। यहां तक कि केजरीवाल एक रात शीला दीक्षित के घर के बाहर भी बैठे रहे लेकिन कांग्रेस ने केजरीवाल को
‘2014 के चुनाव के समय उभरी आप 2019 के चुनाव में पूर्ण पतन की कगार पर है’
जिस कांग्रेस को केजरीवाल कोसते नहीं थकते थे, आज गठबंधन के लिए उसकी खुशामद करने में लगे हैं। इससे उनके अवसरवादी और दोमुंहे चरित्र का भी पता चलता है।
केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन क्यों नहीं करते अन्ना हजारे?
अन्ना हजारे को मोदी सरकार के विरूद्ध अनशन करने से पहले 2011 के चर्चित अन्ना आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी और उसकी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन करना चाहिए। संभव है कि इससे उनके आंदोलन से उपजी पार्टी एक ईमानदार सरकार का प्रतिमान स्थापित कर देश की राजनीति को एक नई दिशा देने की कोशिश करे।
आम आदमी की उम्मीद और यकीन को धूमिल करने वाले नेता बन गए हैं केजरीवाल!
पत्रकार से नेता बने आम आदर्मी पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष के इस्तीफे ने पार्टी की नींव हिलाने का काम किया। भले ही केजरीवाल इस्तीफा स्वीकार नहीं करने की बात कर रहे हैं, लेकिन इतना तो तय है कि आम आदर्मी पार्टी अब खास आदमी पार्टी बन चुकी है। आशुतोष अरविंद केजरीवाल की तानाशाही और भ्रष्ट कार्यशैली के पहले शिकार नहीं हैं। इससे पहले
क्या आम आदमी पार्टी ने वाकई में कांग्रेस के सामने घुटने टेक दिए हैं?
सबको याद होगा कि आम आदमी पार्टी क्यों और कैसे बनाई गई थी। यूपीए-2 के दौरान भ्रष्टाचार का प्रचंड बोलबाला था। मनमोहन सिंह सरकार को एक धक्का भर देने की ज़रुरत थी। दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार के घपलों के कारनामे थमने का नाम नहीं ले रहे थे। ऐसे में दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल नाम के एक शख्स ने मौके को पहचानकर व्यवस्था परिवर्तन और भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली
घोटालों की सरताज बनती जा रही आम आदमी पार्टी !
आम आदमी पार्टी के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। निरर्थक मुददों को लेकर विवादों में रहने वाले पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल फिर से मुश्किल में हैं। ताजा मामले में खबर है कि पार्टी पर 139 करोड़ रुपए के बड़े घोटाले का आरोप है। यह घोटाला निर्माण श्रमिक कोष को लेकर है। दिल्ली सरकार एक बार फिर से कठघरे में खड़ी है। शिकायत के अनुसार दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में उन लोगों का भी गैर-
पंजाब में टूट की ओर बढ़ती आम आदमी पार्टी
झूठ को गढ़ने और उसे बहुप्रचारित करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कोई सानी नहीं है। इन्होने पंजाब चुनाव से पहले पूरे देश को बताया कि वहाँ पूरी युवा पीढ़ी ड्रग्स की वजह से तबाह हो गई है। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि अकाली नेता बिक्रम मजीठिया खुद नशे के सौदागरों से मिले हुए हैं और नशे की तस्करी में शामिल हैं।
आरोप लगाना और माफ़ी मांगना, क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री का अब यही काम रह गया है ?
आम आदमी पार्टी के अधोपतन का दौर जारी है। खोते जनाधार, बिगड़ती छवि, अंर्तकलह, भ्रष्टाचार के आरोप, विधायकों की अयोग्यता, नौकरशाहों से अभद्रता आदि घटनाक्रमों के बाद अब इस दल में नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के एक निर्णय ने फिर से सदस्यों, पदाधिकारियों को असमंजस में डाल दिया है। केजरीवाल ने अकाली दल के नेता पर पंजाब चुनाव के दौरान लगाए आरोप