कांग्रेस

नेहरू की महानता के भ्रमजाल से मुक्त होता देश

पिछले दिनों ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ के अवसर पर संसद में देश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया गया। संप्रग अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने अपने वक्तव्य में महात्मा गाँधी, पं जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल का जिक्र किया, लेकिन उनके वक्तव्य के केंद्र में नेहरू ही रहे। नेहरू का नाम उन्होंने सबसे अधिक लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में गांधी, पटेल, लाल बहादुर

हिमाचल चुनाव : वीरभद्र सिंह पर भारी पड़ते नजर आ रहे धूमल !

हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं की एक खासियत रही है कि हर पांच साल के बाद वे सरकार बदल देते हैं। 9 नवम्बर को होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने पूरी ताक़त झोंक दी है। हिमाचल में बीजेपी की कमान प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के हाथों में है, वहीं कांग्रेस के चुनावी अभियान की अगुवाई 83 वर्षीय वीरभद्र सिंह कर रहे हैं। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार

गुजरात चुनाव : विकास की राजनीति बनाम विद्वेष की राजनीति

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दोनों राज्‍यों में अपनी सरकार बनाने के लिए भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने स्‍तर पर जुटे हुए हैं। लेकिन, यहां दोनों दलों के काम करने के, प्रचार करने के तरीके में अंतर स्‍पष्‍ट नज़र आता है। एक तरफ जहां भाजपा सकारात्‍मक ढंग से प्रचार कर रही है, वहीं कांग्रेस सस्‍ते हथकंडे अपनाकर थोथी राजनीति दिखाने से बाज नहीं आ रही। इसी के समानांतर नेताओं

गुजरात ने अगर 2014 को दोहरा दिया तो मिशन-150 जरूर प्राप्त करेगी भाजपा !

गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही प्रदेश में सियासी पारा उफान पर है। आमतौर पर गुजरात की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस दो ही दलों की सीधी लड़ाई रहती है। फिर भी अलग-अलग चुनावों के दौरान कुछ छोटे दलों का उभार देखने को मिलता रहा है। लेकिन अबतक के नतीजों का मजमून यही है कि गुजरात की राजनीति भाजपा बनाम कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही रही है और लंबे समय से कांग्रेस का

क्या कश्मीर पर चिदंबरम के बयान से सहमत है कांग्रेस ?

भारत की आजादी के 70 साल हो गए हैं, लेकिन कश्मीर को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। कश्मीर को लेकर राजनीतिक गलियारों में सदैव हलचल रहती हैं, लेकिन वर्ष 2014 में पीएम मोदी द्वारा केंद्र की सत्ता संभालने के बाद कश्मीर की जनता का विश्वास हासिल करने और उसे आतंकवाद से मुक्त करने की दिशा में कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। अब विडंबना यह है कि केंद्र सरकार कश्मीर में शांति और प्रगति के

हिमाचल प्रदेश चुनाव : मीडिया को कोई बताए कि सिर्फ गुजरात में नहीं, हिमाचल में भी चुनाव है !

इस समय देश के दो महत्वपूर्ण राज्यों हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन चुनावी चर्चा से हिमाचल लगभग पूरी तरह से गायब है। हिमाचल की धरती पर आप कदम रखेंगे तो वहां वर्तमान कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है और सरकार के प्रति जनता में बेहद गुस्सा है, लेकिन इसकी झलक आपको न तो समाचार चैनलों पर देखने को मिलेगी और न ही अंग्रेजी के बड़े अख़बारों में।

गुजरात चुनाव : विकास के मुद्दे पर मात खाने के बाद जातिवादी राजनीति पर उतरी कांग्रेस

गुजरात में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस अपने तरकश के सभी तीर आजमाती रही है। लेकिन,  पिछले तीन विधानसभा चुनाव में उसे कामयाबी नही मिली। इस बार स्थिति बदली थी।  नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए। कांग्रेस को लगा कि इस बार मुकाबला पहले की अपेक्षा आसान होगा। राहुल गांधी ने मोर्चा खोल दिया।

तो क्या राहुल गांधी की ट्विटर पर बढ़ती लोकप्रियता भी एक महज एक छलावा है ?

हो सकता है कि कांग्रेस समर्थक इस बात से खुश हो गये हों कि राहुल गांधी की लोकप्रियता कम से कम ट्विटर पर तो बढ़ रही है; मगर, राहुल गांधी के लोकप्रिय होने की यह गलतफ़हमी आने वाले चुनावों में उनका कितना साथ देगी, ये सोचने वाली बात है। क्योंकि, कांग्रेस के अधिकाधिक कारनामों की तरह इस अचानक बढ़ी लोकप्रियता पीछे भी फर्जीवाड़ा होने की बात सामने आ रही है।

स्क्रिप्ट राइटर नेता नहीं बनाते, नेता ‘परफॉर्म’ करके बना जाता है राहुल गांधी जी !

इन दिनों खबर मिल रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने स्क्रिप्ट राइटर बदल लिए हैं। अब वो लोग उनके लिए लिखने लगे हैं जो फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखते हैं और पहली कतार में बैठे लोगों की तालियाँ बटोरते हैं। राहुल गांधी सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए आजकल सस्ते फ़िल्मी हथकंडे का सहारा ले रहे हैं। चुटकुले, कहानियाँ और पहेलियाँ सुनाना उनका शगल हो गया है, जनता उन्हीं को सुनकर मनोरंजन

राजनीतिक जमीन के साथ-साथ कांग्रेस का बौद्धिक और भाषाई स्तर भी गिरता जा रहा है !

हमेशा की तरह अपने बेसिर-पैर के बचकाने बयानों को लेकर थोथी लोकप्रियता बटोरने वाले कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी फिर सुर्खियों में हैं। इस बार भी कारण वही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करने गए राहुल ने इस बार नैतिकता व मर्यादा की सीमाएं पार करते हुए अशालीन टिप्‍पणी कर दी। उन्‍होंने कहा कि संघ व भाजपा में महिलाओं से भेदभाव होता है। मैंने संघ की महिलाओं को कभी शॉर्ट्स में नहीं