आशीष कुलकर्णी ने नया क्या कहा, कांग्रेस का ‘हिन्दू विरोधी’ चेहरा तो पहले से ही उजागर है !
देश भर में विभिन्न मोर्चों पर लगातार हार के बाद अपना जनाधार खोती जा रही कांग्रेस पार्टी को शुक्रवार को एक और झटका लग गया। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार और समन्वय केंद्र के सदस्य आशीष कुलकर्णी ने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। यह इस्तीफा उन्होंने गुपचुप तरीके से नहीं दिया, बल्कि पुरजोर तरीके से आरोपों की बौछार करते हुए दिया। यह इस्तीफा इसलिए भी अहम है, क्योंकि आशीष कांग्रेस के वार रूम
आजादी के बाद नेहरूवादी नीतियों के अंधानुसरण के कारण अपेक्षित विकास नहीं कर सका भारत
इस पंद्रह अगस्त हमने अपनी आजादी का 70वां वर्ष पूरा कर लिया। सवाल का उठना लाजिमी है कि क्या हमने 70 सालों में वह सबकुछ हासिल कर लिया, जो खुशहाली के लिये जरूरी है। चीन 1 अक्टूबर, 1949 को आजाद हुआ था, लेकिन आज वह बहुत सारे मामलों में भारत से आगे है। भारत ने आजादी के बाद बहुत कुछ हासिल किया लेकिन अभी उससे बहुत अधिक हासिल करना है।
राहुल गांधी की कार पर चले पत्थर को मुद्दा बनाकर खुद फँस गयी है कांग्रेस !
प्रजातंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। गुजरात में राहुल गांधी की कार पर पत्थर फेंकना निंदनीय व आपराधिक कृत्य है। गुजरात सरकार ने इसे गंभीरता से लिया। पत्थर फेंकने वाले को जेल भेजा। अब कानून अपना कार्य करेगा। लेकिन इस प्रकरण ने कुछ प्रश्न भी उठाए हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कार पर एक पत्थर क्या फेंका गया कि लोकतंत्र खतरे में पड़ गया। एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय
अमित शाह के प्रवास कार्यक्रमों से घबराया हुआ है विपक्ष !
अमित शाह की सक्रियता भाजपा के लिये प्रेरणा बन रही है, लेकिन विपक्ष के लिये यह परेशानी का सबब है। अमित शाह, संगठन को मजबूत बनाने के लिये सभी प्रदेशों में प्रवास कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा विरोधियों की धड़कने बढ़ा देती है। वह अपनी पार्टी की आंतरिक हलचल के लिये भी अमित शाह को दोषी बता रहे हैं
गुजरात में पहले से ही बदहाल कांग्रेस अब ‘सूपड़ा साफ’ होने की ओर बढ़ रही है !
राहुल गाँधी ने कहा कि उन्हें बिहार में घटित हुए सियासी घटनाक्रम के बारे में पहले से अंदेशा था, तो सवाल उठा कि उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं किया ? दूसरा सवाल अब ये उठ रहा कि क्या राहुल गाँधी को गुजरात में घटित हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में भी पहले से पता था और अगर हाँ, तो उन्होंने इसको रोकने के लिए भी क्यों कुछ नहीं किया? ये तो राहुल गांधी हैं जो धीरे-धीरे भारतीय राजनीति के मज़ाक
भारतीय राजनीति में क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है कांग्रेस ?
इतिहास के पन्नों को पलटें और इसके सहारे भारतीय राजनीति को समझने को प्रयास करें तो हैरानी इस बात पर होती है कि जो कांग्रेस पंचायत से पार्लियामेंट तक अपनी दमदार उपस्थिति रखती थी, आज वही कांग्रेस भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक हो गई है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि आज बिहार से लगाये कई राज्यों की सियासत गर्म है और इन सबमें में कांग्रेस कहीं गुम-सी नज़र आ रही है। बिहार में महागठबंधन
‘हिन्दू आतंकवाद’ की धारणा स्थापित करने के लिए रची गयी कांग्रेसी साजिशों की खुलने लगी परतें
एक अंग्रेजी समाचार चैनल ने वर्ष 2008 से जुड़ा एक ऐसा खुलासा किया है, जो बेहद चौकाने वाला है। टाइम्स नाऊ ने फाइल्स नोटिंग से मिली जानकारी के आधार पर यह दावा किया है कि कांग्रेसनीत संप्रग-2 सरकार ने मालेगाँव एवं अजमेर ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत से पूछताछ करने के लिए एनआईए पर दबाव बनाया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कांग्रेस के शीर्ष
नेहरूवादी मुस्लिपरस्ती के कारण कांग्रेस ने इजरायल से रखी दूरी, राष्ट्रीय हितों को किया अनदेखा
नेहरू-गांधी खानदान ने मुस्लिम वोटों के लिए हिंदू हितों की बलि ही नहीं चढ़ाई बल्कि ऐसी विदेश नीति भी अपनाई जिससे राष्ट्रीय हित तार-तार होते गए। इसे भारत की मध्य-पूर्व नीति से समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के रूप में नेहरू ने पश्चिम एशिया के संबंध में भारतीय विदेश नीति में तय कर दिया था कि फिलीस्तीन से दोस्ती इजरायल से दूरी के रूप में दिखनी चाहिए। नेहरू की इस आत्मघाती नीति को
विपक्षी कब समझेंगे कि अंधविरोध की राजनीति के दिन अब लद चुके हैं !
2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की दीवार दरकती हुई नज़र आ रही है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विरोधी जितने ज्यादा मुखर हुए हैं, बीजेपी के सितारे उतने ज्यादा प्रखर हुए हैं। अच्छी बात यह है कि भारत की जनता इस बात को अच्छी तरह समझ गई है कि केंद्र की एनडीए सरकार सियासी एजेंडे को केंद्र में रखकर अपनी योजनाएं नहीं बना रही है, बल्कि इसके पीछे लोक-कल्याण
अपने मौकापरस्त रहनुमाओं के कारण पिछड़ते मुसलमान
2014 के लोक सभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी दो साल से इफ्तार पार्टी नहीं दे रही है। उत्तर प्रदेश में तो हद हो गई जब प्रदेश कांग्रेस ने दावत का निमंत्रण पत्र भेजने, होटल क्लार्क का मैदान बुक करने और मेन्यू तय होने के बावजूद आलाकमान के निर्देश पर अचानक इफ्तार पार्टी रद्द कर दी। यह वही कांग्रेस है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री निवास पर इफ्तार पार्टी न दिए