कांग्रेस

यूपी चुनाव कांग्रेस लड़ रही है या प्रशांत किशोर लड़ रहे हैं ?

राजनीति में हार-जीत स्थायी नहीं होती है। यह एक क्रम है जो कभी इस पाले तो कभी उस पाले के अनुकूल होता है। आजादी के बाद नेहरु से शुरू हुई कांग्रेस इंदिरा गांधी से होते हुए राजीव, सोनिया और राहुल गांधी तक पहुंची है। इस दरम्यान लगभग पांच दशकों तक कांग्रेस सत्ता में रही है, जिसमें लगभग तीन दशक से ज्यादा सत्ता के शीर्ष पर नेहरु का परिवार रहा है। अब केंद्र की सत्ता बेशक कांग्रेस के पास नहीं है,

संघ पर आरोप लगाने से हुई राहुल गाँधी की किरकिरी, सबक लें संघ विरोधी!

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को दोषी ठहराने वाले अपने एक बयान के मामले में जिस तरह अदालत में यू-टर्न लिया और पुनः ट्वीट के जरिए अपने पुराने बयान पर टिके रहने की बात दोहराते हुए डबल यू-टर्न लिया है, यह उनके कमजोर व्यक्तित्व, सुझबुझ की कमी और राजनीतिक नादानी को ही निरुपित करता है। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने 2014 में एक चुनावी जनसभा में गांधी जी की हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार ठहराया था। इससे नाराज संघ के एक

मुलायम सिंह यादव ने छिपा लिया था राजीव गांधी का बोफोर्स घोटाला!

बोफोर्स घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है। देश के पूर्व रक्षामंत्री…

व्यक्तिवाद और परिवारवाद से ग्रस्त हो चुकी है कांग्रेस, पतन तो होना ही है!

वर्तमान केंद्र में भाजपा सत्ता में है जबकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा…

दंगों के दम पर ही शासन करती रही है कांग्रेस, यही है उसकी राजनीति का असल चरित्र!

भारत में सांप्रदायिक दंगों का लंबा इतिहास रहा है। अंग्रेजों ने अपनी “बांटों व राज करो” नीति को कामयाब बनाने के लिए जिस सांप्रदायिकता का बीज बोया था उसे आजाद भारत के कांग्रेसी व वामपंथी नेताओं ने खाद-पानी देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

बताइए न सोनिया मैडम, कांग्रेसी सलमान खुर्शीद पाकिस्तान के एजेंट हैं क्या ?

सलमान ख़ुर्शीद ने पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान जाकर भारत विरोधी बयान दिया था। कहा था कि “भारत ने पाकिस्तान के अमन के पैगाम का उचित जवाब नहीं दिया। मोदी अभी नए हैं और स्टैट्समैन कैसे बना जाता है, यह उन्हें सीखना है।“ यानी मोदी से अदावत की आड़ में सलमान ख़ुर्शीद ने अपने वतन भारत को ही अमन का दुश्मन और गुनहगार बना डाला।

सारे गुनाह भाजपा के, बाकियों के तो सौ गुनाह माफ़ हैं!

पिछले दिनों यूपी भाजपा के एक नेता ने बसपा की महिला नेता के प्रति कुछ आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसपर बिना देर किए भाजपा द्वारा अपने नेता पर कार्रवाई की गई। फिर उस भाजपा नेता की गिरफ्तारी भी हुई और कुछ समय बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत ही जमानत भी मिल गई। यह तो बात हुई भाजपा की, जिसमे स्पष्ट है कि भाजपा ने अपने नेता के आपत्तिजनक बयान को लेकर कोई नरमी नहीं दिखाई।

हताशा, निराशा और लगातार मिल रही हार से बीमार होती कांग्रेस

वर्तमान राजनीति में कांग्रेस आज जिस मुहाने पर खड़ी है उसे देश के हर व्यक्ति, अपने नेता और कार्यकर्ता, यहाँ तक कि हर नेता और राष्ट्रीय नेतृत्व तक को अपने आप पर भी भरोसा नहीं है। असल में हर-जीत के बीच यह एक प्रकार का मानसिक अवसाद है जिसमें शक, शंका, अविश्वास आदि का आना स्वाभाविक है।

गांधी की हत्या और संघ : वामपंथी कुतर्कों पर टिका एक मनगढ़ंत इतिहास

राजनेताओं को यह समझना होगा कि अपने राजनीतिक नफे-नुकसान के लिए किसी व्यक्ति या संस्था पर झूठे आरोप लगाना उचित परंपरा नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी शायद यह भूल गए थे कि अब वह दौर नहीं रहा, जब नेता प्रोपोगंडा करके किसी को बदनाम कर देते थे।

दरकती ही जा रही है उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक जमीन

वैसे तो कांग्रेस आज भी कहने को राष्ट्रीय पार्टी ही है लेकिन सबसे अधिक लोकसभा और विधान सभा की सीटों वाले प्रदेश में उसकी स्थिति कैसी है, यह किसी से छिपा नहीं है। अगर राजनैतिक लोकप्रियता और स्वीकार्यता के ग्राफ को समझना है तो उसके लिए यह देखना बेहद जरूरी है कि बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और महाराष्ट्र जैसे बड़े प्रदेशों में पार्टी का चुनावी प्रदर्शन कैसा रहा है। कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता का आलम यह है पिछले लोकसभा चुनाव में और उसके बाद के सभी विधानसभा चुनावों में, किसी भी राज्य में कांग्रेस की स्थिति दयनीय से अलग नहीं रही है।