मुद्दाहीन विपक्ष की बौखलाहट का परिणाम है कृषि कानूनों का विरोध
कोरोना जैसी आपदा के समय में भी जिस तरह सरकार ने व्यवस्था को यथासंभव संभाले रखा है और जनता में विश्वास बना रहा है, उससे विपक्ष बुरी तरह से बौखलाया हुआ है।
विपक्ष द्वारा कृषि सुधार विधेयकों के विरोध की क्या है असली वजह ?
कृषि सुधार संबंधी कानून लागू होने के बाद भी सरकारी मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेंगे फिर भी विपक्ष वोट बैंक की राजनीति में डूबा विपक्ष भ्रम फैलाने से बाज नहीं आ रहा है।
‘उपसभापति हरिवंश का आचरण प्रशंसनीय ही नहीं, अनुकरणीय और वरेण्य भी है’
त्वरित प्रतिक्रिया एवं तल्ख़ टीका-टिप्पणियों वाले इस दौर में उपसभापति हरिवंश का यह आचरण न केवल प्रशंसनीय है, अपितु अनुकरणीय एवं वरेण्य भी है।
पारित हुए कृषि सुधार विधेयक, किसानों के जीवन में आएगा नया सवेरा
कुल मिलाकर घोषणा के स्तर पर ये विधेयक निःसंदेह आश्वस्तकारी हैं, उम्मीद है धरातल पर भी ये परिणामदायी साबित होंगें और किसानों के जीवन में नया सवेरा लाएंगे।
सरकार का अंधविरोध करते-करते विपक्ष अब संसदीय मर्यादाओं के विरोध पर उतर गया है
हां तक बिल की बात है, यह पूरी संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक ढंग से पारित किया गया है। लेकिन विपक्ष ने तो इस तरह हंगामा मचाया मानो इसे पिछले दरवाजे से बिना प्रक्रिया पूरी किए पास कर दिया गया हो।
कंगना से बदला लेना छोड़ कोरोना से बेहाल महाराष्ट्र की चिंता करें उद्धव ठाकरे
जिस प्रकार से बीएमसी ने कंगना का ऑफिस तोड़ा है, वह सरकारी कार्यवाही कम और असामाजिक तत्वों की करतूत अधिक मालूम होती है।
‘कांग्रेस तेजी से जिस रास्ते पर बढ़ रही है, वो पतन के अलावा और कहीं नहीं जाता’
कांग्रेस के अंदर नेतृत्व के प्रति असंतोष और निराशा का भाव बढ़ रहा है, लेकिन इस परिवारवाद की पट्टी आँखों पर बांधे पार्टी इस बात की अनदेखी करने में लगी है।
वंशवाद, अहंकार और अदूरदर्शिता के भँवर में फँसकर पतन की ओर बढ़ती कांग्रेस
चाटूकारों और अवसरवादियों की भीड़ और उनकी विरुदावलियाँ किसी नेतृत्व के अहं को तुष्ट भले कर दें, पर इनसे वे सर्वस्वीकृत, सार्वकालिक, और महान नहीं बनते।
अतीत से सबक न ले रही कांग्रेस के लिए भविष्य और कठिन होने वाला है
सोमवार को कांग्रेस की बैठक में से एक के बाद एक आए बयानों का सार यही है कि इस पार्टी के लिए गांधी परिवार ही सबकुछ है।
भारत के सामयिक उत्कर्ष को सुनिश्चित करने वाली है नयी शिक्षा नीति
नयी शिक्षा नीति सही अर्थों में शिक्षा को औपनिवेशिक चंगुल से मुक्ति की संकल्पना है तथा यह भारत के स्वत्व व स्वाभाविक सामर्थ्य को साकार करने का प्रयास भी है।