हिन्दू संगठनों के वक्तव्यों पर शोर मचाने वाला सेक्युलर खेमा चर्च की अपील पर खामोश क्यों है?
गुजरात चुनाव में चर्च ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सीधा प्रयास किया है। गांधीनगर के आर्च बिशप (प्रधान पादरी) थॉमस मैकवान ने चिट्ठी लिखकर ईसाई समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे गुजरात चुनाव में ‘राष्ट्रवादी ताकतों’ को हराने के लिए मतदान करें। यह स्पष्ट तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय एवं चुनाव आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन है।
गुजरात चुनाव : ‘राष्ट्रवादी ताकतों’ के खिलाफ चर्च की अपील का क्या होगा असर !
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा जाति का मुद्दा उठाने के बाद अब ईसाई धर्मगुरु भी धर्म के नाम पर मतदाताओं को लुभाने की आखिरी कोशिश कर लेना चाहते हैं। जाहिर है, जब धर्म और जाति का घालमेल होता है तो विवाद खड़ा होता है। पिछले दिनों कुछ ऐसा ही हुआ जब गांधीनगर के आर्च बिशप थॉमस मैकवान ने इसाईयों के नाम खुला ख़त लिखकर उनसे “राष्ट्रवादी” ताकतों को हराने की अपील की।
विकास बनाम जातिवाद की लड़ाई का अखाड़ा बना गुजरात चुनाव
गुजरात में विधानसभा चुनाव इस बार साफ़ तौर पर विकास बनाम जातिवाद के मुद्दे पर केन्द्रित हो गया है। वैसे, आदर्श राजनीतिक व्यवस्था यही होगी कि चुनाव जातिवाद, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर लड़ें जाएँ। जातिवाद को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए हम अक्सर उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं को बदनाम करते हैं, लेकिन गुजरात में कांग्रेस लगता है ये तय करके बैठी थी कि अबकी जातिवाद और आरक्षण के नाम पर ही
सीडी काण्ड में सबसे ज्यादा सवाल खुद हार्दिक पटेल पर ही उठते हैं !
गुजरात में मतदान की तारीख जैसे–जैसे करीब आ रही, वैसे-वैसे रोज़ कुछ न कुछ नया सियासी भूचाल आ रहा है। चुनावी समर के मध्य पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल का एक अन्तरंग वीडियो जैसे ही सामने आया गुजरात का सियासी पारा अपने परवान पर चढ़ गया। दरअसल, इस वीडियो में हार्दिक पटेल किसी होटल के कमरे में एक लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहें हैं। गुजरात के चुनावी
गुजरात चुनाव से पहले अचानक राहुल गांधी में इतना मंदिर प्रेम कैसे जग गया है ?
चुनाव के दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों के तूफानी दौरों से वाकई कई सवाल उठते हैं। क्या राहुल अपनी “सॉफ्ट हिंदुत्ववादी” नेता की छवि बनाकर कांग्रेस को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं? मंदिर जाने के क्रम में ही राहुल गांधी ने अपनी भक्ति से जुड़ा एक खुलासा भी किया। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने उत्तरी गुजरात के शहर पाटन में कहा कि वह भगवान शिव के परम भक्त हैं और वह सच्चाई में यकीन
गुजरात चुनाव : विकास की राजनीति बनाम विद्वेष की राजनीति
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दोनों राज्यों में अपनी सरकार बनाने के लिए भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने स्तर पर जुटे हुए हैं। लेकिन, यहां दोनों दलों के काम करने के, प्रचार करने के तरीके में अंतर स्पष्ट नज़र आता है। एक तरफ जहां भाजपा सकारात्मक ढंग से प्रचार कर रही है, वहीं कांग्रेस सस्ते हथकंडे अपनाकर थोथी राजनीति दिखाने से बाज नहीं आ रही। इसी के समानांतर नेताओं
गुजरात ने अगर 2014 को दोहरा दिया तो मिशन-150 जरूर प्राप्त करेगी भाजपा !
गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही प्रदेश में सियासी पारा उफान पर है। आमतौर पर गुजरात की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस दो ही दलों की सीधी लड़ाई रहती है। फिर भी अलग-अलग चुनावों के दौरान कुछ छोटे दलों का उभार देखने को मिलता रहा है। लेकिन अबतक के नतीजों का मजमून यही है कि गुजरात की राजनीति भाजपा बनाम कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही रही है और लंबे समय से कांग्रेस का
फ़िल्मी भाषणों के भरोसे गुजरात जीतने का स्वप्न देख रहे राहुल गांधी!
गुजरात विधानसभा चुनाव की चर्चाएं सियासी गलियारों में जोरों पर हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों दल अपने-अपने स्तर पर यहां चुनावी सभाएं कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश का दौरा किया और प्रदेशवासियों के लिए करोड़ों रुपए लागत के निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया। भाजपा जहां सकारात्मक ढंग से अपने ध्येय वाक्य ‘सबका साथ सबका विकास’ को लेकर आगे बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस हमेशा की तरह
गुजरात चुनाव : विकास के मुद्दे पर मात खाने के बाद जातिवादी राजनीति पर उतरी कांग्रेस
गुजरात में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस अपने तरकश के सभी तीर आजमाती रही है। लेकिन, पिछले तीन विधानसभा चुनाव में उसे कामयाबी नही मिली। इस बार स्थिति बदली थी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए। कांग्रेस को लगा कि इस बार मुकाबला पहले की अपेक्षा आसान होगा। राहुल गांधी ने मोर्चा खोल दिया।
योगी की गुजरात यात्रा राजनीतिक होने के साथ-साथ यूपी के विकास पर भी केन्द्रित थी !
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गुजरात यात्रा मुख्य रूप से राजनीतिक थी, लेकिन यहां भी वह उत्तर प्रदेश के विकास को नही भूले। अवस्थापना और औद्योगिक विकास के अधिकारी गुजरात यात्रा में उनके साथ थे। मुख्यमंत्री गुजरात के निवेशकों से मिले और उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश का आमंत्रण दिया। इस प्रकार यह यात्रा आर्थिक विकास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गई। कार्य करने का यही अंदाज प्रधानमंत्री