छठ पर्व हमें बताता है कि हर अस्त का उदय निश्चित है
छठ के हर सूप, हर गमले या डगरे में दूध या जल का दान बर्बादी नहीं बल्कि अर्घ्य-दान है, कृतज्ञ मानव का प्रकृति के प्रति यह अपनी ही तरह की श्रद्धाभिव्यक्ति है
आदि से अंत तक प्रकृति-प्रेम की भावना से पुष्ट लोकपर्व है छठ
भारत पर्वों का देश है। यहाँ एक पर्व बीतता नहीं कि अगला हाजिर हो जाता है। भारतीय पर्वों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे किसी न किसी आस्था से प्रेरित होते हैं। अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं। ऐसे ही पर्वों की कड़ी में पूर्वी भारत में सुप्रसिद्ध छठ पूजा का नाम भी प्रमुख रूप से आता है।
‘वोकल फॉर लोकल’ से खुलेगी आत्मनिर्भरता की राह
प्रधानमंत्री मोदी ने दीपावली तथा उसके आगे के त्योहारों के लिए लोगों से स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करके ‘वोकल फॉर लोकल’ को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
‘अर्घ्य के दिन किसी छठ घाट पर चले जाइए, आप वो देखेंगे जो आपके मन को प्रफुल्लित कर देगा !’
ये यूं ही नहीं कहा जाता कि भारत पर्वों, व्रतों, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का देश है। दरअसल यहां शायद ही ऐसा कोई महीना बीतता हो जिसमें कोई व्रत या पर्व न पड़े। हमारे पर्वों में सबसे अलग बात ये होती है कि इन सब में हमारा उत्साह किसी न किसी आस्था से प्रेरित होता है। कारण ये कि भारत के अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं। ऐसे ही त्योहारों की कड़ी में पूर्वी
भारतीय लोक संस्कृति और परम्पराओं का अनूठा महापर्व है छठ
भारत विविधताओं का देश है। यहां हर त्यौहार बड़ी ही खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली, रक्षाबंधन, दशहरा, दिवाली, भाईदूज, गुरु पर्व और ईद का जश्न यहां बहुत ही जोर—शोर से मनाया जाता है। यहां तक की विदेश में भी भारतीय संस्कृति अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही है। वहां रहने वाले भारतीय प्रवासी इन त्यौहारों का जमकर लुत्फ उठाते हैं। दिवाली की रौनक के छह दिन बाद हर