नियति से भेंट का दिन ‘हिन्दू साम्राज्य दिवस’
स्वराज्य स्थापना के समय अष्टप्रधान मंडल की रचना, फारसी और अरबी भाषा के शब्दों को हटाकर संस्कृतनिष्ठ एवं मराठी शब्दों के प्रचलन पर जोर देते हुए ‘राज्य व्यवहार कोश’ का निर्माण, कालगणना हेतु श्रीराजाभिषेक शक का प्रारम्भ, संस्कृत राजमुद्रा का उपयोग, प्रशासनिक व्यवस्था, कृषि एवं श्रम सुधार, सामाजिक उत्थान, न्याय व्यवस्था, तकनीक और विज्ञान में
शिवाजी महाराज के शासनकाल की आर्थिक नीतियां
शिवाजी महाराज की नौ सेना ने पुर्तगालियों, डच एवं अंग्रेजों की नौ सेना को निशाना बनाने में सफलता पाई थी। शिवाजी महाराज ने अपने राज्य एवं आज के महाराष्ट्र के पेन, पनवेल और कल्याण क्षेत्रों में पानी के जहाज बनाने के उद्योग प्रारम्भ किये थे। इन क्षेत्रों में पानी के जहाज बनाने के लिए पर्याप्त
जयंती विशेष : स्वदेशी के महत्व को बताता है छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन
शिवाजी महाराज ऐसे नायक हैं, जिन्होंने मुगलों और पुर्तगीज से लेकर अंग्रेजों तक, स्वराज्य के लिए युद्ध किया। भारत के बड़े भू-भाग को आक्रांताओं के चंगुल से मुक्त कराकर, वहाँ ‘स्वराज्य’ का विस्तार किया। जन-जन के मन में ‘स्वराज्य’ का भाव जगाकर शिवाजी महाराज ने समाज को आत्मदैन्य की परिस्थिति से बाहर निकाला। ‘स्वराज्य’ के
‘भारत के स्वराज्य’ का उद्घोष था श्रीशिवराज्याभिषेक
कहते हैं कि यदि छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म न होता और उन्होंने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना न की होती, तब भारत अंधकार की दिशा में बहुत आगे चला जाता।
छत्रपति शिवाजी : समय एवं समाज की चेतना को झंकृत करने वाले नायक
शिवाजी महाराज केवल एक व्यक्ति नहीं थे, वे एक सोच थे, संस्कार थे, संस्कृति थे, पथ-प्रदर्शक, क्रांतिकारी मशाल थे, युगप्रवर्तक शिल्पकार थे।
हिन्दू साम्राज्य दिवस : छत्रपति शिवाजी और उनका लोकाभिमुख शासन
शिवाजी का राज्याभिषेक जिसे आज हम हिन्दू साम्राज्य दिवस के रूप में मनाते हैं, केवल किसी व्यक्ति विशेष के सिंहासन पर बैठने की घटना भर नहीं थी बल्कि वह समाज और राष्ट्र की भावी दिशा तय करने वाली एक युगांतकारी घटना भी थी।