ग्लोबल करेंसी बनने की ओर अग्रसर होता भारतीय रुपया
नई विदेश व्यापार नीति (2023) में इस तरह के बदलाव किए गए हैं कि घरेलू मुद्रा में विदेशी व्यापार संभव हो सके। इससे भारतीय रुपया नई छलांग लगाएगा..
वैश्विक स्तर पर भुगतान माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है भारतीय रुपया
भारत को आगे आने वाले समय में डॉलर की आवश्यकता कम होने लगेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई देशों के बीच रुपए की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ती जा रही है।
वैश्विक मंदी के असर से मुक्त रहेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
आंकड़ों से साफ़ है, दुनिया के विकसित देश मंदी की गिरफ्त में आने के कगार पर हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत बनी हुई है।
वोस्ट्रो खाता : रूपये में अंतर्राष्ट्रीय कारोबार की पहल से अर्थव्यवस्था में आएगी मजबूती
डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा है, इसी कारण अंतर्राष्ट्रीय कारोबार डॉलर में हो रहा है, लेकिन नई व्यवस्था को अपनाने के बाद भारत रुपए में कारोबार कर सकेगा।
वैश्विक मुश्किलों के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर मजबूती से बढ़ रहा भारत
कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन की निरंतरता से भी सुधार को बल मिल रहा है और अर्थव्यवस्था में मजबूती बने रहने की संभावना लगातार बरक़रार है।
एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के निर्यात की ओर अग्रसर भारत
वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 100,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो कि अपने आप में एक इतिहास रच देगा।
ये तथ्य बताते हैं कि कोरोना संकट के बीच धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है भारतीय अर्थव्यवस्था
कोरोना संकट के बीच देश में मोदी सरकार द्वारा सही समय पर अनुकूल निर्णय लिए जाने के कारण देश में व्यापारिक गतिविधियाँ शीघ्रता से सामान्य स्थिति प्राप्त करती जा रही हैं