तुलसीदास

हिंदी दिवस विशेष : भारत की सांस्कृतिक विविधता की सच्ची प्रतिनिधि है हिंदी

किसी भी समाज की सांस्कृतिक पहचान का आधार उसकी भाषा में सन्निहित होता है। वस्तुतः भाषा ही वो प्राणतत्व होती है, जो किसी संस्कृति को काल के निर्बाध प्रवाह में भी सतत जीवंत और गतिशील रखती है।

रामचरितमानस प्रकरण : ‘निंदा या आलोचना केवल हिंदू ग्रंथों की हो सकती है, ऐसी उदारता अन्यत्र दुर्लभ है’

वस्तुतः रामचरितमानस के प्रत्येक प्रसंग आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत हैं। भक्ति के धरातल पर पहुंच कर ही इसका अनुभव किया जा सकता है।

रामचरितमानस वो सेतु है जो पीढ़ियों को जोड़ता है

रामचरितमानस दिन के हर पहर की कहानी है। हर संबंधों की कहानी है। दुःख और सुख के भेद की कहानी है। ये जड़ से चेतन को जोड़ने की कहानी है।

अयोध्या पहुँचकर राममय हुए राष्ट्रपति

रामचरितमानस की चौपाई ‘सिया राम मय सब जग जानी’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राम संपूर्ण मानवता के हैं। राम सबके हैं और राम सबमें हैं।

रामलीला के विश्वव्यापी रंग

मानवीय क्षमता की सीमा होती है। वह अपने ही अगले पल की गारंटी नहीं ले सकता। इसके विपरीत नारायण की कोई सीमा नहीं होती। वह जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, तब भी आदि से अंत तक कुछ भी उनसे छिपा नहीं रहता। लेकिन वह अनजान बनकर अवतार का निर्वाह करते है। भविष्य की घटनाओं को देखते हैं, लेकिन प्रकट नहीं होते देते। इसी को उनकी लीला कहा