क्या ममता के राज में भाजपा का कार्यकर्ता होना भी गुनाह हो गया है ?
पश्चिम बंगाल में इन दिनों राजनीतिक अराजकता चरम पर है। यह अराजकता इसलिए है, क्योंकि वहाँ बीते दिनों दो भाजपा कार्यकर्ताओं की दुर्दांत हत्या हुई, लेकिन आश्चर्य की बात है कि इन दोनों हत्याओं पर बुद्धिजीवियों का दिल नहीं पसीजा है। शायद इसकी वजह ये है कि ये दोनों कार्यकर्ता भाजपा के थे। पहली हत्या एक जून को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुई।
’18 साल की उम्र में बीजेपी के लिए काम करोगे तो यही हश्र होगा’
भारत जैसे विविधताओं से भरे महान लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक हत्याओं के मामले जब सामने आते हैं, तो निश्चित तौर पर यह लोकतंत्र को मुंह चिढ़ाने वाली बात होती है। राजनीतिक हत्याएं न केवल भारत के विचार–विनिमय की संस्कृति को चोट पहुँचाने वाला विषय हैं, बल्कि यह सोचने पर मज़बूर भी करती हैं कि राजनीति में अब सियासी भाईचारे की जगह बची है अथवा