भारत के प्राचीन वैभव की पुनर्स्थापना के तीन वर्ष
इन तीन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए छोटे-बड़े तमाम क़दमों का लक्ष्य अंततः भारत को विश्व का सिरमौर बनाना, इक्कीसवीं सदी को भारत की सदी बना कर देश को फिर से विश्व गुरु के आसन पर विराजमान कराना और माँ भारती के पुरा-वैभव की पुनर्स्थापना करना है। और ऐसा करते हुए
मोदी ऐसे नेता बन चुके हैं, जिनका विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं है!
पूरे विपक्षी खेमे में कोई एक नेता ऐसा नहीं दिखता जो मोदी के जवाब में खड़ा हो सके। ऐसे में, ये कहना गलत नहीं होगा कि मोदी के आगे विपक्ष एकदम लाजवाब हो गया है। उसके पास न तो कोई नेता है और न ही कोई एजेंडा। दरअसल विपक्ष की इस दुर्गति के लिए काफी हद तक विपक्ष की नकारात्मक राजनीति ही जिम्मेदार है, जिससे जनता का उसके प्रति
ये हैं वो बातें जो बनाती हैं नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता !
मोदी की छवि एक विकास पुरुष की है, जो जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की व्यर्थ राजनीति से परे होकर केवल देश हित में चौबीस घंटे काम करता है। वे स्वयं बिना अवकाश लिए तीन साल से लगातार काम कर रहे हैं और नौकरशाहों को भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल ऐसी तमाम बातें हैं जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाती हैं। ऐसा लोकप्रिय नेता जिसके
राजनीतिक पंडितों के लिए अकल्पनीय हैं मोदी और अमित शाह के लक्ष्य-बिंदु
राजनीतिक पंडितों के लिए जो अकल्पनीय है, वो मोदी और शाह के लक्ष्य बिंदु हैं। और, उन लक्ष्यों को लगातार भाजपा हासिल भी करती जा रही है। आमतौर पर किसी भी सरकार के तीन साल बाद लोकप्रियता कम होती है, लेकिन मोदी इस मामले में भी परंपरागत धारणाओं को धता साबित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
इक्कीसवीं सदी के सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रतिष्ठित होते नरेंद्र मोदी
महात्मा गांधी जननेता के रूप में एक ऐसा आदर्श रहे हैं, जिसके नज़दीक पहुँचना भी उनके बाद के किसी नेता के लिए सम्भव न हो सका। अब नरेंद्र मोदी ‘गांधी के बाद कौन’ वाले सवाल का जवाब बनने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर और फिर देश के प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अपना व्यक्तित्व नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया है।
भारतीय राजनीति के चाणक्य अमित शाह से मात खाते विरोधी
शाह अक्सर बताते हैं कि वे चाणक्य और वीर सावरकर से प्रेरणा लेते हैं। उनका कहना है कि अगर कोई भारतीय राजनीति को समझना और भारत पर शासन करना चाहता है, तो उसे इन दो युग-निर्माताओं के दर्शन को आत्मसात करना होगा। अमित शाह की राजनीति व कामकाज में इन व्यक्तियों की प्रेरणा को स्पष्ट देखा जा सकता है। दिलचस्प बात है कि जिन लोगों को चाणक्य के बारे में
आखिर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कैसे बनी भाजपा ?
भारत की राजनीति में दलीय व्यवस्था का उभार कालान्तर में बेहद रोचक ढंग से हुआ है। स्वतंत्रता के पश्चात कांग्रेस का पूरे देश में एकछत्र राज्य हुआ करता था और विपक्ष के तौर पर राज गोपाल चारी की स्वतंत्र पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी सहित बहुत छोटे स्तर पर जनसंघ के गिने-चुने लोग होते थे। उस दौरान भारतीय राजनीति में एक दलीय व्यवस्था के लक्षण दिख रहे थे। सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद आजाद हुए
प्रधानमंत्री मोदी के सुशासन और अमित शाह की रणनीति के आगे चारों खाने चित होते विरोधी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यों ही नहीं आज के दौर के सबसे बड़े नेता हैं। पहले लोकसभा चुनावों में भाजपा को बंपर बहुमत दिलाकर और अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद पूर्वोत्तर के मणिपुर, समुद्री राज्य गोवा, पहाड़ी उत्तराखंड और गंगा-यमुना के विशाल मैदान उत्तर प्रदेश को जिस ढंग से उन्होंने भगवा झंडे के नीचे समेटा वह उन्हें देश के सार्वकालिक जन नायकों में शुमार करने के लिए काफी
मोदी सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन की ओर अग्रसर भारत
उत्तर प्रदेश के नतीजों के तुरंत बाद उमर अब्दुल्लाह ने कहा था कि “विपक्ष को अब 2024 की तैयारी करनी चाहिए; 2019 में उसके लिए खास उम्मीद नहीं है”। उमर अब्दुल्ला ने संभवत: वर्तमान राजनीति की उस हक़ीकत को स्वीकारने का प्रयास किया, जिसे पूरा विपक्ष कहीं न कहीं समझ तो रहा है, मगर स्वीकार नहीं रहा। यद्यपि 2019 अभी दूर है; परंतु जमीनी हकीकत और तमाम समीकरणों को देखते हुए पूरी संभावना
भारत-यूएई सम्बन्ध : बढ़ेगी भारत की ताक़त, हलकान होगा पाकिस्तान
मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से ही देश की विदेशनीति को नये आयाम मिले हैं। अमेरिका, यूरोप समेत एशिया के भी अनेक देशों से भारत के संबंधों में एक नयी मजबूती आयी है। अपनी कामयाब विदेशनीति की कड़ी में पीएम मोदी ने एक और दोस्त बनाया है। अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत के संबंधों को न केवल नये ढंग से मज़बूत बनाने बल्कि उनको सही दिशा में ले जाने