नोटबंदी का एक साल : बढ़ा आयकर संग्रह, कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह पर देश
नोटंबदी के एक वर्ष पूर्व होने पर स्थिति यह है कि इससे डिजिटल लेनदेन में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जो रूपये में लगभग 1800 करोड़ होगी। मार्च एवं अप्रैल, 2017 में जब नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत लगभग दूर हो गई थी तब भी डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी हो रही थी। मार्च एवं अप्रैल 2017 में लगभग 156 करोड़ रूपये
ये जनता की चिंताओं और समस्याओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील सरकार है !
नरेंद्र मोदी के रूप में देश ने ऐसा प्रधानमंत्री चुना है, जो जनता की नब्ज़ को पहचानता है तथा जिसे आरोपों का पलटवार प्रमाणपूर्वक करना आता है। कई दिनों से, विशेषकर विपक्षी नेताओं द्वारा, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी ‘जीएसटी’ की आलोचना हो रही थी। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आई थोड़ी गिरावट के बहाने देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने की बात कही जा रही थी। सरकार की नीतियों को गलत बताया जा
अपने लक्ष्यों की तरफ अग्रसर है नोटबंदी, विफलता की बातें हैं भ्रामक
पिछले साल की गई नोटबंदी के सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। रिजर्व बैंक ने इसी सप्ताह एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि जब नोटबंदी की गई थी तो जिन पांच सौ व हजार रूपये के नोटों को बंद किया गया था, उनका मूल्य 15.28 लाख करोड़ रुपए था। इस राशि का करीब 99 प्रतिशत हिस्सा बैंकिंग सिस्टम में वापस आ चुका है। इन पुराने नोटों में से महज 16 हजार नोट ही आना शेष हैं। प्रधानमंत्री
नोटबंदी से हुए फायदों की कहानी, इन आंकड़ों की जुबानी
आठ अगस्त को नोटबंदी के 9 महीने हो गये। आज बड़े मूल्य वर्ग के चलन से बाहर की गई मुद्राओं के बदले छापी गई नई मुद्रायेँ 84% चलन में है, जबकि नोटबंदी के पहले बड़े मूल्यवर्ग यथा 1000 और 500 की मुद्रायेँ 86% चलन में थी। फिलवक्त, चलन में मुद्राओं का केवल 5.4% ही बैंकों के पास उपलब्ध है, जबकि नवंबर, 2016 में बैंकों के पास 23.2% मुद्रायेँ उपलब्ध थी। नोटबंदी के तुरंत बाद बैंकों में नकदी की उपलब्धता उसकी
इन तथ्यों से साबित होता है कि आज देश में फौलादी इरादों वाली निर्णायक सरकार है !
केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद एक बात साफ़ हुई है कि विपक्ष की सोच के विपरीत भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर एक सख्त और सर्वमान्य नीतियों को लेकर जनता ने भी सरकार का समर्थन किया है। मुद्दा चाहे राजनीतिक हो, सुरक्षा का हो या आर्थिक, नरेन्द्र मोदी सरकार ने स्टैंड लिया है। इसका नतीजा न सिर्फ चुनावी सफलता के तौर पर परिलक्षित हुआ है, बल्कि आम
जीएसटी का विरोध करने वाले विपक्षी दल नोटबंदी के विरोध जैसी भूल कर रहे हैं !
तीस जून की आधी रात देश में जीएसटी लागू हो गया। संसद के सेन्ट्रल हाल में एक भव्य आयोजन किया गया। हालांकि कांग्रेस एवं वामपंथी दलों समेत कई विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बेजा विरोध किया। देश इस आर्थिक सुधार के एतिहासिक क्षण का गवाह बना। ‘एक राष्ट्र एक कर’ के नारे के साथ जीएसटी समूचे देश में लागू हो गया। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह यह जरूरी है कि विपक्ष भी अपनी रचनात्मक भूमिका अदा
नोटबंदी के बाद से लगातार मज़बूत हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था
विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने, कैड में बेहतरी आने, केंद्रीय बैंक द्वारा सुधारात्मक कदम उठाने, निर्यात में वृद्धि आने, डॉलर की तुलना में रूपये में मजबूती आने, जीडीपी के बेहतर होने के आसार और जीएसटी के लागू होने आदि से अर्थव्यवस्था में गुलाबीपन आने की संभावना बढ़ गई है। मौजूदा समय में लगातार मजबूत होती मोदी सरकार अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर सकारात्मक निर्णय ले रही है, जिसके अपेक्षित परिणाम बहुत ही जल्द दृष्टिगोचर होंगे, ऐसे कयास लगाये जा सकते हैं।
नोटबंदी के बाद काले धन पर फिर बड़ी कार्रवाई, ईडी ने की तीन सौ फर्जी कंपनियों पर छापेमारी
गत वर्ष नवम्बर में देश की अर्थव्यवस्था की जड़ों को खोखला करने वाले कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा बड़ा कदम उठाया ताकि देश में मौजूद कालेधन पर लगाम लगाईं जा सके। नोटबंदी के फैसले के बाद ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों और कारोबारियों की रूह कांप गई कि आखिरकार वो अपने हर एक रुपये का हिसाब कहां से और कैसे देगे। चंदे आदि का हिसाब देने से बचने के कारण कई
यूपी की जीत दिखाती है कि अब भी कायम है मोदी मैजिक !
कहते हैं कि राह जितनी मुश्किल होगी, जीत उतनी ही बड़ी होगी। कुछ ऐसा ही भारतीय जनता पार्टी के साथ हो रहा है। एक समय केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए कड़ी मेहनत करने वाली अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी की जोड़ी एक के बाद एक जीत का परचम लहराती ही जा रही है। केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद इस जोड़ी ने विधानसभा चुनावों में भी जीत दर्ज कर ली है। यूपी जैसे राज्य में जीत दर्ज
सीएसओ ने जारी किए आंकड़े, नोटबंदी का नहीं पड़ा अर्थव्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव
नोटबंदी पिछले तीन महीनो से देश के सबसे चर्चित विषयों में से एक रही है। विपक्षियों द्वारा नोटबंदी के बाद इस बात को लेकर बहुत शोर किया गया कि नोटबंदी से देश की कृषि और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। लेकिन, कुछ समय पहले आये फसल उत्पादन में वृद्धि के आंकड़ों के बाद जहां यह साफ़ हो गया कि नोटबंदी से कृषि पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है; वहीँ अभी हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी