पाक को आग में झोंकता एक और कट्टरपंथी मुल्ला !
पाकिस्तान को एक और कट्टर मुल्ला मिल गया है। नाम है खादिम हुसैन रिजवी। उर्दू और पंजाबी में तकरीरें करना वाला रिजवी गैर-मुसलमानों और अपने विरोधियों को गालियां बकने से भी परहेज नहीं करता। ये ही वहां पर लगातार जारी बंद और धरने का नेतृत्व कर रहा था। इसके ही नेतृत्व में देश के विधि मंत्री जाहिद हामिद के इस्तीफे की मांग हो रही थी। इसका आरोप है कि जाहिद हामिद ने ईशनिंदा की है, उन्हें कैबिनेट से
हाफिज सईद की रिहाई पर राजनीति कर दुनिया को क्या सन्देश देना चाहते हैं, राहुल गांधी ?
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी हाफिज सईद की पाकिस्तान में रिहाई वस्तुतः विश्व समुदाय की चिंता होनी चाहिए। अनेक देशों ने इसपर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर चिंता भी व्यक्त की है। उसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकवादी घोषित किया था। दस मिलियन डॉलर अर्थात पैसठ करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था। अतः उसका रिहा होना केवल भारत की समस्या नहीं है।
फिर टूटने की कगार पर पाकिस्तान !
अगर आप पाकिस्तानी मीडिया को फोलो कर रहे हैं, तो आपने देखा होगा कि वहां पर पंजाबी बनाम शेष वाली स्थिति पैदा हो चुकी है। बलूचिस्तान और सिंध सूबों की जनता में देश के सबसे बड़े सूबे यानी पंजाब के प्रति नफरत का भाव है। कुछ समय पहले बलूचिस्तान में हुई दो अलग-अलग घटनाओं में 16 पंजाबी मूल के लोगों को गोलियों से मार डाला गया।
ईरान-पाकिस्तान में बढ़ रही तल्खियां, भारत के लिए है बड़ा अवसर
पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने बीते दिनों ईरान की यात्रा की। ये कोई सामान्य औपचारिक यात्रा नहीं थी बाजवा की। दरअसल ईरान-पाकिस्तान के संबंधों में लगातार तल्खी आ रही है। पिछले साल जिस दिन भारतीय सेना ने आजाद कश्मीर में आतंकी शिविरों को बर्बाद किया था, उसी दिन ईरान ने भी पाकिस्तान पर हमला किया था। दरअसल 28-29 सितंबर, 2016 की रात पाकिस्तान को लंबे समय तक
अमेरिका की अफगानिस्तान नीति पर भारत के सधे हुए कदम
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति हमेशा चौंकाने वाली होती है। फिर चाहे वो डोकलाम विवाद के समय चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अनपेक्षित मुलाकात हो या फिर सारे पूर्वाग्रहों को तोड़ते हुए इजरायल का दौरा करने का निर्णय हो। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक सीएसआईएस में अपने संबोधन में कहा था कि हम उम्मीद करते
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सशक्त भारत का संबोधन !
संयुक्त राष्ट्र महासभा के ७२वें सत्र में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संबोधन कई मायनों में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रूप से उल्लेखनीय रहा। सुषमा के संबोधन से पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने अपने संबोधन में भारत पर आतंक प्रायोजित करने और कश्मीर में अत्याचार फैलाने का आरोप लगाया था। उनके भाषण का लम्बा हिस्सा भारत की बुराई करने में ही बीता था।
यूएन में भारत बोला पाकिस्तान है ‘टेररिस्तान’, अलग-थलग पड़ा पाक !
पाकिस्तान को जब भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों से अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है, तो वो वैश्विक समस्याओं के निदान में अपना सहयोग या सुझाव देने की बजाय सिर्फ भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाने और कश्मीर समस्या का वितंडा खड़ा करने तक ही सिमटकर रह जाता है। पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की पुरजोर कोशिश करता आ रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक
अमेरिका की अफगानिस्तान नीति से पाक बाहर, भारत को मिला सर्वाधिक महत्व
भारत के थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत और अमेरिकी विदेश उपमंत्री के बयान में कोई सीधा संबन्ध नही था। लेकिन, लगभग एक ही समय मे आये इन बयानों की सच्चाई एक जैसी है। जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान और चीन दोनो मोर्चो पर मुस्तैद रहने की बात कही तो दूसरी ओर अमेरिकी विदेश उपमंत्री ने कहा कि भारत दो खतरनाक देशों से घिरा है। इन दोनों बयानों का मतलब भी एक है और इनकी सच्चाई
ये ब्रिक्स सम्मेलन दिखाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ा है भारत का दबदबा !
ब्रिक्स सम्मेलन इस बार चीन के शियामन में 3 से 5 सितम्बर तक हुआ। इस समूह के पांचो सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में भारत ने जिस तरह आतंकवाद के मुद्दे को उठाया, वो अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाते हुए पहली बार आतंकवादी संगठनो के नाम जारी किये गए। भारत ने पाक-पोषित आतंकी संगठनो के नामों पर जोर डालते हुए घोषणापत्र में कुल 18 बार आतंकवाद का ज़िक्र किया।
डोकलाम के बाद अब ब्रिक्स में भी भारत के आगे चित हुआ चीन !
ब्रिक्स सम्मेलन के साझे घोषणापत्र में आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ने की बात कही गई है। आतंकवाद का ज़िक्र इस घोषणापत्र में कम से कम 18 बार किया गया है। चीन ने भी जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान जैसे पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठनों के नामों को इसमें शामिल किए जाने पर ऐतराज न जताते हुए भारत के रुख का ही साथ दिया। ये आतंकी संगठन मूलतः पाकिस्तान की धरती पर मौजूद हैं और यहीं से