‘नारी की गरिमा पुरुष के मुकाबले में खड़े होने में नहीं, उसके बराबर खड़े होने में है’
नारी, ईश्वर की वो रचना जिसे उसने सृजन की शक्ति दी है; ईश्वर की वो कल्पना जिसमें प्रेम, त्याग, सहनशीलता, सेवा और करुणा जैसे भावों से भरा ह्रदय है। जो शरीर से भले ही कोमल हो लेकिन इरादों से फौलाद है। जो अपने जीवन में अनेक किरदारों को सफलतापूर्वक जीती है। वो माँ के रूप में पूजनीय है, बहन के रूप में सबसे खूबसूरत दोस्त है, बेटी के रूप में घर