गांवों की तस्वीर बदलने में कामयाब रही मोदी सरकार
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गांवों को बिजली, सड़क, पेयजल, शौचालय जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम तय किया।
मिशन मोड में चल रही प्रधानमंत्री आवास योजना, तय समय से पहले पूरा होने की उम्मीद
प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू किए जाने की रफ्तार देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह योजना अपने तय समय से पहले ही पूरी हो जाएगी। इसी कड़ी में केंद्र के शहरी एवं विकास मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत एक करोड़वें घर को मंजूरी का लक्ष्य दिनांक 27 दिसम्बर 2019 को हासिल कर लिया गया है।
लोगों के अपने घर के सपने को साकार कर रही प्रधानमंत्री आवास योजना !
देश में घरों की कमी एक गंभीर समस्या है। आज भी करोड़ों लोग घरों के बिना फुटपाथ पर अपना जीवन गुजर-बसर करने के लिये अभिशप्त हैं। समस्या की गंभीरता को देखते हुए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंम 25 जून, 2015 को किया, जिसका उद्देश्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराना है। इस योजना को दो भागों यथा, शहरी और ग्रामीण में विभाजित किया गया है।
मोदी सरकार के इस क़ानून से पूरा होगा सबका अपने घर का सपना
अपनी छत का सपना किस हिन्दुस्तानी का नहीं होता। अब तक उनके इस सपने को दर्जनों धूर्त बिल्डर पूरा नहीं होने देते थे अपने लालच के कारण। पर अब उनकी करतूतें बंद होंगी। नौ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद बीती सोमवार यानी 1 मई 2017 से रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट यानी रेरा एक साथ पूरे देश में लागू हो गया है। इसके साथ ही लाखों घरों की चाहत रखने वालों के लिए उम्मीद पैदा हो गई कि
प्रधानमंत्री आवास योजना से ख़त्म होगी बेघरी की समस्या, होगा सबका अपना घर!
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चुनावी ऐजेंडे में जिन चीजों को शामिल किया गया था, शपथ के पहले दिन से उन सभी पर पूरी निष्ठा से काम किया जा रहा है। अच्छे दिनों का जो नारा मोदी ने देश को दिया था, वह उसे जमीन पर कर्यान्वित करने की दिशा में भी पूरी तरह से कार्यरत दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष की शुरुआत में कहा था कि उनका सपना है कि २०२२ तक देश में सबका अपना घर हो। इस दिशा में प्रधानमंत्री
सफलता की ओर प्रधानमंत्री आवास योजना, ख़त्म होगी बेघरी की समस्या!
आज़ादी के 69 वर्षों बाद भी आज हमारे देश में लगभग 5 करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिनके सिर पर एक अदद छत का साया नहीं है। वे बेघरी में फूटपाथ पर या जर्जर झुग्गी-झोपड़ियों में दुर्दशा के साथ जीने को अभिशप्त हैं। ऐसे करीब 2 करोड़ परिवार शहरों में और 3 करोड़ परिवार देश के गांवों में बसते हैं। लेकिन, संतोषजनक बात ये है कि केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार इन लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए एक