बंगाल की दुर्दशा पर चुप रहिये, क्योंकि यहाँ ममता बनर्जी का ‘सेकुलर शासन’ है!
ममता बनर्जी सरकार के राज में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा आम होती जा रही है। आए दिन भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं।
कोरोना संकट : मोदी विरोध की अपनी राजनीति में बंगाल को संकट में डाल रहीं ममता
ममता बनर्जी का यह पुराना तरीका है कि जब कोई बड़ी समस्या सुलझाने में आप नाकाम होने लगो तो उसके लिए केंद्र और नरेन्द्र मोदी को बदनाम करना शुरू कर दो। कोरोना का संकट जब दस्तक दे रहा था तो उन्होंने केंद्र द्वारा दी गई चेतावनी को हल्के में लिया, और ऐसा भी कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा से ध्यान हटाने के लिए केंद्र सरकार लोगों में दहशत फैलाना चाहती है।
कोरोना काल में ममता की संकीर्ण राजनीति का शिकार बंगाल
पूरा विश्व कोरोना के भयंकर संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत ने अभी तक अपनी प्रबंधन क्षमता एवं प्रबल इच्छाशक्ति से कोरोना का डटकर मुकाबला किया है तथा यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत इस व्याधि को नियंत्रित रखने में काफी हद तक कामयाब भी नजर आ रहा है।
बंगाल में दो तिहाई बहुमत का दावा यूँ ही नहीं कर रहे अमित शाह, इसके पीछे ठोस कारण हैं
पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इसके लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के बीच यहां मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीते रविवार कोलकाता के शहीद मीनार मैदान से एक सभा को संबोधित करते हुए इस अभियान
वर्तमान राजनीति में शरणार्थियों की सारथी साबित हो रही भाजपा
पश्चिम बंगाल की सुषुप्त पड़ी राजनीति में गृहमंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के दौरे ने एक बार फिर उबाल ला दिया है। राजनीतिक सरगर्मी में वृद्धि करते हुए अमित शाह ने शरणार्थियों के प्रति पुनः अपना दृढ़ संकल्प दोहराते हुए कहा कि हर शरणार्थी को नागरिकता देकर रहेंगे चाहे कोई कितना भी सीएए का विरोध करे।
बंगाल को हिंसा की आग में धकेल ममता किस मुंह से लोकतंत्र की बात करती हैं?
क्या पश्चिम बंगाल की स्थिति आज से 20 साल पहले कश्मीर वाली हो गई है? राज्य में एक पूर्ण बहुमत की सरकार होते हुए भी बंगाल के मौजूदा हालात बद से बदतर हो रहे हैं, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी वहां की राज्य सरकार पर जाती है। ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री होते हुए राज्य में अत्याचार और अनाचार बहुत बढ़ गए हैं
बंगाल : मोदी की रैली में दिखी भाजपा की बढ़ती धमक, बढ़ रही ममता की बेचैनी
पिछले कुछ महीने से पश्चिम बंगाल में सत्ता पक्ष द्वारा एक ख़ास तरह की घिनौनी राजनीति चल रही है कि विपक्षी पार्टियों को वहाँ रैली ही नहीं करने दो, उनके कार्यकर्ताओं पर हमले करो। ऐसा कुछ पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी करती थी, लेकिन मिट्टी और मानुष की सौगंध लेने वाली ममता बनर्जी भी अब लोगों के साथ छल कर रही हैं। बंगाल में विपक्षी कार्यकर्ताओं के साथ ज्यादती की शिकायत कई बार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी की है।
’18 साल की उम्र में बीजेपी के लिए काम करोगे तो यही हश्र होगा’
भारत जैसे विविधताओं से भरे महान लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक हत्याओं के मामले जब सामने आते हैं, तो निश्चित तौर पर यह लोकतंत्र को मुंह चिढ़ाने वाली बात होती है। राजनीतिक हत्याएं न केवल भारत के विचार–विनिमय की संस्कृति को चोट पहुँचाने वाला विषय हैं, बल्कि यह सोचने पर मज़बूर भी करती हैं कि राजनीति में अब सियासी भाईचारे की जगह बची है अथवा
जलता रहा बंगाल और दिल्ली में बैठकर राजनीति करती रहीं ममता बनर्जी !
बंगाल में इन दिनों अराजकता मची हुई है। खुलेआम हिंसा और अशांति का नंगा नाच चला और राज्य सरकार इसे नियंत्रित नहीं कर पाई। रामनवमी के जुलूस को लेकर अभी तक कई स्थानों पर हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं। सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ और हमेशा की तरह निर्दोष नागरिकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। बंगाल के आसनसोल और रानीगंज में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि यहां लोगों के सिर से छत
बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से घबराई ममता तानाशाही पर उतर आई हैं !
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वोटबैंक सियासत में इतना उलझ गई हैं कि अब उन्हें राष्ट्रवादी विचारो से परेशानी होने लगी है। वस्तुतः इसे वह अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानने लगी हैं। यही कारण है कि उनकी सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम हेतु महाजाति आडिटोरियम की बुकिंग रदद् करा दी। यह राज्य सरकार का आडिटोरियम है। बताया जाता है कि संबंधित अधिकारियों