बस

देश याद रखेगा कि संकटकाल में जब सरकार श्रमिकों के साथ खड़ी थी, विपक्ष संकीर्ण सियासत में लगा था

जब पूरा देश कोरोना संकट से उपजी चिंताओं एवं चुनौतियों में घिरा था तब कुछ राज्य सरकारें अपनी राजनीति में व्यस्त थीं, उन्हें न तो भूखे पेट सो रहे श्रमिकों की चिंता थी न ही बिना दूध के रोते बच्चों को। इन राज्यों को पैदल चल रहे श्रमिकों के पैरों के छाले नहीं दिखे लेकिन

वादे निभाने में नाकाम रहने के बाद अब मुफ्तखोरी की राजनीति पर उतरे केजरीवाल

मुफ्तखोरी की राजनीति का आगाज मुफ्त बिजली से हुआ था और इसने राज्‍य विद्युत बोर्डों को खस्‍ताहाल कर डाला। गठबंधन राजनीति के दौर में भारतीय रेलवे की भी कमोबेश यही दशा हुई। अब दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्‍ली मेट्रो व बसों में मुफ्त यात्रा का प्रस्‍ताव देकर वोट बैंक की राजनीति को एक नया आयाम देने में जुट गए हैं।