वंदे भारत एक्सप्रेस: अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन
शुक्रवार का दिन भारत के इतिहास में दर्ज हो गया। देश को वंदे भारत एक्सप्रेस का उपहार मिला जो कि देश की पहली स्वदेशी, सेमी-हाईस्पीड ट्रेन है। भारतीय रेलवे के लिए भी यह उपलब्धि बहुत खास है क्योंकि इस प्रोजेक्ट पर लंबे समय से काम चल रहा था और इस अत्याधुनिक, सर्वसुविधायुक्त ट्रेन के आने से सार्वजनिक परिवहन को भी गति मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के रेल्वे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर इस ट्रेन को रवाना किया।
सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बुलेट ट्रेन से मिलेगी रफ्तार
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अहमदाबाद में मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना की आधारशिला रखी। इसके साथ ही भारत 20 देशों के एक खास समूह में शामिल हो गया। यह परियोजना लोगों के लिए सुरक्षा, गति और बेहतर सेवा के एक नये युग का सूत्रपात करेगी। माना जा रहा है कि विश्व में तीसरा सबसे लंबा नेटवर्क होने का फायदा उठाते हुए भारतीय
‘बुलेट ट्रेन का विरोध वैसे ही है, जैसे राजधानी एक्सप्रेस और मेट्रो का हुआ था’
वामपंथी सोच वाले नेता-बुद्धिजीवी भले ही उदारीकरण-भूमंडलीकरण की नीतियों का विरोध करें लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इसने देश की तस्वीर बदल दी। कारोबारी सोच, शॉपिंग मॉल, ब्रांडेड सामान, कार, बस, बाइक के नए-नए मॉडल, हाईवे, शानदार होटल, हर हाथ में मोबाइल, चमचमाते हवाई अड्डे उदारीकरण की ही देन हैं। दुर्भाग्यवश देश की धमनी मानी जाने वाली रेल की हालत में बदलाव होना अभी बाकी
भारत-जापान के बीच बढ़ रही नजदीकी से परेशान चीन
भारत और जापान के सम्बन्ध शुरू से अच्छे रहे हैं। जापान में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रभाव होने के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में और भी प्रगाढ़ता आई है। भारत की आजादी के लिये किये जा रहे संघर्ष में भी जापान की शाही सेना ने सुभाष चंद्र बोस की मदद की थी। आजादी मिलने के बाद से दोनों देशों के बीच सौहाद्र्पूर्ण संबंध रहे हैं, जबकि भारत और जापान दोनों देशों के चीन के साथ कमोबेश तल्खी वाले रिश्ते रहे हैं। इस
मेक इन इंडिया की जोरदार धमक, चीन की सबसे बड़ी हाई स्पीड ट्रेन कंपनी बनाएगी भारत में रेल इंजन
यह वास्तविकता है कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई मेक इन इंडिया योजना एक दूरगामी और क्रांतिकारी प्रभाव वाली योजना है। अतः इसका बड़ा लाभ आने वाले कुछ वर्षों में देश के सामने आएगा, लेकिन अभी इसके शुरुआत के लगभग दो वर्षों में ही इसका अच्छा-ख़ासा असर देखने को मिलने लगा है।