वित्तीय समावेशन का शानदार उदाहरण बनी प्रधानमंत्री जन-धन योजना
जन-धन योजना के तहत खुले खातों की एक विशेषता यह है कि 56 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। साथ ही, 67 प्रतिशत बैंक खाते ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में खुले हैं।
मोदी सरकार की नीतियों से भारत में वित्तीय समावेशन को मिल रही गति
केंद्र में वर्तमान मोदी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से तो वित्तीय समावेशन के कार्यान्वयन में बहुत अधिक सुधार देखने में आया है।
जनधन योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली संजीवनी
विमुद्रीकरण के बाद से जनधन खातों में तेज वृद्धि देखी गई। अब तक 30 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं। 10 राज्य, जहाँ 23 करोड़, प्रतिशत में 75% खाते खोले गये, में उत्तर प्रदेश 4.7 करोड़ खातों के साथ पहले स्थान पर, 3.2 करोड़ खाते खोलकर बिहार दूसरे स्थान और 2.9 करोड़ खातों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर है।
ये आंकड़े बताते हैं कि गरीबों तक बैंक पहुँचाने में कामयाब रही मोदी सरकार !
सैद्धांतिक रूप से ही भले ही बैंकों को गरीबों का हितैषी कहा जाता हो लेकिन व्यावहारिक धरातल पर बैंकों का ढांचा अमीरों के अनुकूल और गरीबों के प्रतिकूल रहा है। देश में गरीबी की व्यापकता एवं उद्यमशीलता के माहौल में कमी की एक बड़ी वजह यह भी है। 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद यह उम्मीद बंधी थी कि अब बैंकों की चौखट तक गरीबों की पहुंच बढ़ेगी लेकिन वक्त के साथ यह उम्मीद धूमिल पड़ती गई।