भारत

भारत ही नहीं, समूचे विश्व के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं अटल बिहारी वाजपेयी

‘हार नहीं मानूंगा, रार ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ’ जैसीे कविताओं से सभी के ह्रदय को जीतने वाले महान भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय परिप्रेक्ष्य में हुए, जिन्होंने राजनीति के साथ साहित्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी चलाकर हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाया और पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुटकर देश को आगे ले जाने में अपना बहुमूल्य योगदान देना शुरू किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित

भारतीय राजनीति के ‘राजर्षि’ हैं अटल बिहारी वाजपेयी

आपने वर्णमाला भी अभी पूरी तरह से सीखी नहीं हो और कहा जाय कि निराला के अवदान पर कोई निबंध लिखें; ‘दिनकर’ पर टिप्पणी आपको तब लिखने को कहा जाय जब आपने विद्यालय जाना शुरू ही किया हो, इतना ही कठिन है राजनीति के अपने जैसे किसी शिशु अध्येता के लिए अटल जी पर कुछ लिखना। और अगर साहित्य के साधक ऋषि का ‘राजर्षि’ में रूपांतरण या साहित्य और राजनीति दोनों को दूध और

हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन : पाक को अलग-थलग करने की दिशा में भारत का एक और कदम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के बीच विगत दिनों संपन्न हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन में व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर चर्चा हुई, जिससे कि दक्षिण एशिया में भारत पाकिस्तान के विरुद्ध अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में शनैः-शनैः कदम बढ़ाता दिख रहा है। अफगानिस्तान की जर्जर अर्थव्यवस्था के पुननिर्माण और रक्षा

हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन में भी अलग-थलग पड़ा पाक, अफगानिस्तान ने भी लगाई लताड़

अमृतसर में आयोजित 7वां हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन कई मायनों में अहम रहा। अफगानिस्तान के पुनर्गठन, सुरक्षा व आर्थिक विकास के साथ–साथ आतंकवाद तथा नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने जैसे गंभीर विषय चर्चा के केंद्र में रहे। सम्मेलन के एजेंडे में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुख था। जाहिर है कि जिस मंच पर पाकिस्तान के प्रतिनिधि मौजूद हों और बात आतंकवाद को उखाड़ फेकने की हो, वहां पाक प्रतिनिधि

लोक मंथन : औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति का सार्थक प्रयास

लोकहित में चिंतन और मंथन भारत की परंपरा में है। भारत के इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं, जिनमें यह परंपरा दिखाई देती है। महाभारत के कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद से लेकर नैमिषारण्य में ज्ञान सत्र के लिए 88 हजार ऋषि-विद्वानों का एकत्र आना, लोक कल्याण के लिए ही था। भारत में चार स्थानों पर आयोजित होने वाले महाकुम्भ भी देश-काल-स्थिति के अनुरूप पुरानी रीति-नीति छोड़ने और

भारत के विकास की गति को और अधिक रफ़्तार देगा जापान का ये साथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिवसीय जापान यात्रा पर हैं। मोदी के इस दौरे के दौरान दोनों देशों द्वारा असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस करार के बाद भारत को जापान से परमाणु बिजली प्लांट की स्थापना, जरूरी ईंधन, उपकरण और तकनीक आदि मिलने का रास्ता खुला है। दोनों देशों के बीच इस समझौते पर बातचीत का दौर लंबे समय से चल रहा था। पिछले साल जब जापान के प्रधानमंत्री भारत

दक्षिणी चीन सागर में चीनी मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने कसी कमर

पाकिस्तान के प्रति मोदी सरकार की शानदार कूटनीति, जिसने उसे न केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व में भी अलग-थलग करके रख दिया है, का परिचय देने के बाद बाद अब मोदी सरकार चीन के प्रति भी कठोर रुख अख्तियार करने के मूड में दिख रही है। अब भारत दक्षिणी चीन सागर में चीन की मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए कमर कस चुका है। इसीलिए चीन के बड़े प्रतिद्वंद्वी जापान के साथ मिलकर दक्षिणी

भारत-न्यूजीलैंड संबंधों में नई ताज़गी आने की उम्मीद

विगत दिनों न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की भारत दौरे पर आए थे। रूस, चीन, अमेरिका आदि तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों की तुलना में उनका यह भारत दौरा मीडिया कवरेज के लिहाज से काफी शांत रहा, लेकिन इससे ऐसा नहीं समझना चाहिए कि इसका महत्व कम है। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के इस दौरे में दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए दो बिंदु सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे थे। पहला तो ये कि भारत परमाणु

रूस और अमेरिका दोनों को साथ-साथ लेकर बढ़ती भारतीय विदेश नीति

भारतीय विदेश नीति के समक्ष लम्बे समय से यह एक यक्ष-प्रश्न बना हुआ था कि रूस और अमेरिका में से भारत किसके साथ बढ़े। ये दोनों देश महाशक्ति और दोनों से संबंधों का बेहतर होना आवश्यक लेकिन इनकी आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण एक से नजदीकी रखने पर दूसरे के दूर होने का संकट संभावना भी प्रबल हो जाती थी। लेकिन, मोदी सरकार ने अपनी सूझबूझ और दूरदर्शिता से पूरें विदेशनीति के जरिये इन

ब्रिक्स सम्मेलन में भी बजा भारतीय विदेश नीति का डंका, अलग-थलग पड़ा पाक

इस बार गोवा में संपन्न दो दिवसीय 8 वां ब्रिक्स सम्मेलन काफी शानदार रहा। पीएम मोदी ने सम्मेलन के दौरान विश्व की बड़ी शक्तियों के समक्ष पाक प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा रखा। उन्होंने हमारे नापाक पड़ोसी देश की आतंकवादियों की डिलीवरी पर ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों को रूबरू करवाया। सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति ब्लामिदीर पुतीन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैक्ब