स्मृति-शेष : सच्चे अर्थों में भारत की ऋषि परंपरा के उत्तराधिकारी थे अनिल माधव दवे
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे, देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में थे, जिनमें एक बौद्धिक गुरूत्वाकर्षण मौजूद था। उन्हें देखने, सुनने और सुनते रहने का मन होता था। पानी पर्यावरण, नदी और राष्ट्र के भविष्य से जुड़े सवालों पर उनमें गहरी अंर्तदृष्टि मौजूद थी। उनके साथ नदी महोत्सवों, विश्व हिंदी सम्मेलन-भोपाल, अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ-उज्जैनसहित कई आयोजनों में काम करने का मौका मिला। उनकी विलक्षणता
मोदी की सलाह पर शिवराज सरकार ने किया वित्त वर्ष में बदलाव, किसानों को मिलेगा फायदा
मॉनसून के खराब रहने से भारत में अक्सर कुछ इलाक़ों में जून और सितंबर के बीच में सूखा पड़ता है। ऐसे में, अगर वित्तीय वर्ष की तारीख बदलती है, तो नवंबर में पेश होने वाले बजट में, कृषि से जुड़ी ऐसी समस्याओं का ध्यान रखा जा सकता है। उल्लेखनीय होगा कि दुनिया के 156 देशों का वित्तीय वर्ष कैलेंडर 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच ही होता है। साथ ही, वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मोनेट्री
शुचिता की राजनीति के पर्याय थे सुन्दरलाल पटवा
मध्य प्रदेश सरकार का दो बार नेतृत्व कर चुके भारतीय जनता पार्टी के नेता सुंदरलाल पटवा का निधन न केवल उनके दल बल्कि प्रदेश की समूची राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। जितना भाजपा में उनका सम्मान था, कांग्रेस के नेता भी उतना ही मान उनको देते थे। सरल हृदय के राजनेता सुंदरलाल पटवा स्वयं भी विपक्ष का बेहद सम्मान करते थे। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि वह शुचिता की राजनीति
स्मृति शेष : सांगठनिक अनुशासन, जनकल्याण और राष्ट्र की प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध थे सुन्दरलाल पटवा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता स्व. श्री सुंदरलाल पटवा जी का जन्म मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के कुकडेश्वर कस्बे में हुआ था। उनका परिवार श्वेतांबर जैन धर्म को मानने वाला था। उनका परिवार धार्मिक तथा राष्ट्रवादी प्रवृत्ति का था। उनके पिता श्री मन्नालाल जैन उस समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी तथा समाजसेवी थे। परिवार की धार्मिक गतिविधियों तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के
लोक मंथन : सनातन धर्म ही है भारतीयता की प्राणवायु
दुनिया की हर सभ्यता का विकास और उसका संचार मंथन से ही होता है। सभ्यताएं भी इसी से जीवित और गतिमान रहती है। मंथन भारतीय परंपरा का भी हिस्सा रहा है। पौराणिक कथाओं और उपनिषदों में ऐसे हजारों उदाहरण मिल जाएंगे। प्रायः मंथन से हर बार देश और समाज को नयी दिशा मिलती है और वह समाज अथवा देश दोगुने उत्साह से अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ता है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल के करीब है मध्य प्रदेश
याद कीजिए उन दिनों को जब लोकसभा का चुनाव प्रचार चरम पर था, जब नतीजे भारतीय जनता पार्टी या कहें नरेन्द्र मोदी के पक्ष में आए, जब नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी हो रही थी। याद आए वह दिन। गुजरात में मोदी और मध्यप्रदेश में शिवराज के विकास ने, दोनों को भाजपा का ‘पोस्टर बॉय’ बना दिया था। इसलिए उन दिनों गुजरात बनाम मध्यप्रदेश की बहस को जानबूझकर उछाला गया था। नरेन्द्र मोदी और शिवराज
वर्तमान समय और समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है मध्य प्रदेश सरकार का आनंद मंत्रालय!
राजनीतिज्ञों की सोच में अत्यंत शुभ परिवर्तन का संकेत है मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आनंद मंत्रालय का निर्माण। पहली पंचवर्षीय योजना से लेकर और वर्तमान की बारहवीं योजना तक सभी में भारतीय समाज की भौतिक उन्नति के अनेकों सफल एवं कुछ असफल प्रयास हुए हैं। आज देश में सड़के अधिक हैं,