मोदी

हर गाँव तक बिजली पहुँचाने में कामयाब रही मोदी सरकार !

आजादी के सत्‍तर साल बाद ही सही लेकिन अब तक अंधेरे में डूबे 18,452 से अधिक गांवों में समय सीमा से पहले बिजली पहुंचना एक बड़ी उपलब्‍धि है। गौरतलब है कि प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्‍त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से एक हजार दिनों में देश के इन गांवों में बिजली पहुंचाने का समयबद्ध लक्ष्‍य तय किया था। इसके लिए दीन दयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना शुरू की गई, जिसके तहत ग्रामीण घरों और कृषि

कर्नाटक चुनाव : मोदी के मैदान में उतरते ही कांग्रेस के माथे पर पसीना आने लगा है !

प्रधानमंत्री मोदी के मैदान में आते ही कर्नाटक चुनाव के सारे गणित बदलने लगे हैं। लिंगायत कार्ड खेलकर जो कांग्रेस अपनी ताल ठोंक रही थी, मोदी के आते ही उसके माथे पर पसीना दिखाई देने लगा है। कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है। जैसा कि सभी जानते हैं कि मोदी का चुनावी अंदाज़ तूफानी होता है और वह अपने तर्ज़ पर चुनावी अभियान का संचालन करते हैं।

पूर्वोत्तर भारत : मोदी राज में ख़त्म हो रहा उग्रवाद, खुल रहे विकास के द्वार

गत सप्ताह केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर भारत के मेघालय से पूर्णतः तथा अरुणाचल प्रदेश से आंशिक तौर पर अफस्पा हटाने का निर्णय लिया गया। मेघालय के ४० प्रतिशत इलाकों में ही यह क़ानून अब रह गया था, वहाँ से भी अब इसे हटा लिया गया है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश के १६ थाना क्षेत्रों में यह क़ानून लागू था, जिनमें से आठ थाना क्षेत्रों से इसे हटाने का निर्णय गृह मंत्रालय ने लिया है

भारत-चीन अनौपचारिक वार्ता के निकलेंगे सकारात्मक परिणाम

अंततः बिना एजेंडे की शिखर वार्ता का प्रयोग कारगर रहा। भारत और चीन के बीच आपसी विश्वास बहाल हुआ। चीन ने भारत के साथ संवाद और अच्छे संबन्ध रखने का महत्व स्वीकार किया। कहा गया कि द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय शुरू हुआ है। ये सकारात्मक रूप में आगे बढ़ते रहेंगे। दो दिन में छह वार्ताएं हुई। यह सकारात्मक बदलाव को रेखांकित करता है। भविष्य में इसके बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते है।

मोदी-शाह की करिश्माई जोड़ी के आगे पूर्वोत्तर में भी ढेर हुए सभी सूरमा !

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका वैचारिक दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्व है। जिन गिने-चुने प्रदेशों से ऊर्जा लेकर वामपंथी देश की राजधानी नई दिल्ली और केंद्रीय विश्विद्यालयों में धमक दिखाने का प्रयास करते रहे हैं, वहाँ भी अब वे निस्तेज हो गए हैं। इसके सकारात्मक वैचारिक परिणाम सामने आएँगे।

पूर्वोत्तर चुनावों में सिद्ध हो गया कि भाजपा अब पूरे भारत पर राज करने वाली पार्टी बन गयी है !

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों की जनता ने कांग्रेस और वामपंथी दलों की झूठ और प्रपंच से भरी राजनीति को बेनकाब कर, वहाँ भगवा परचम लहरा दिया है। त्रिपुरा में 25 साल पुरानी “तथाकथित” इमानदार माणिक सरकार अब अतीत का हिस्सा बन गई है। इसी तरह नागालैंड में भी भाजपा ने अपने सहयोगी दल नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया है। पूर्वोत्तर के महत्वपूर्ण त्रिपुरा राज्य में लेफ्ट का

यूपी के अच्छे दिन लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी इन्वेस्टर समिट !

कई बार बिना किसी विशेष योजना के भावपूर्ण और सार्थक चित्र उभरते हैं। लखनऊ की इन्वेस्टर्स समिट में यह दृश्य दिखाई दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्वेस्टर्स समिट की डाक्यूमेंट्री को जारी किया, जिसकी शुरुआत कई छोटे कुम्भों के द्वारा एक बड़े कुंभ के भरने के प्रभावी दृश्य से होती है। इसके कई अर्थ हैं। इन्वेस्टर्स समिट के लिए यह प्रतीक बेहरतीन था। नरेंद्र मोदी ने कहा भी कि योगी सरकार ने माहौल बदला है।

कारोबारी और कूटनीतिक दृष्टि से बेहद कामयाब रही मोदी की खाड़ी देशों की यात्रा !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 से 12 फरवरी के दौरान फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ओमान की यात्रा की। इस यात्रा का मकसद था – भारत और खाड़ी देशों के बीच कारोबार, निवेश, सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाना तथा ऊर्जा समेत कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना। ऐसा करना जरूरी भी है, क्योंकि भारत के लिये इन देशों की महत्ता शुरू से ही महत्वपूर्ण एवं प्राथमिकता

परीक्षा पर चर्चा : देश की समस्याएँ हल करने वाले प्रधानमंत्री ने जब छात्रों की समस्याएँ सुलझाईं !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अपनी एक नई छवि को लेकर चर्चाओं का केंद्र बने हुए हैं। एक राजनेता, सत्‍तारूढ़ दल के वरिष्‍ठ नेता और एक राष्‍ट्र के प्रमुख होने से इतर उनकी एक अनूठी छवि सामने आई है। एक ऊर्जावान एवं सक्रिय नेता के रूप में तो देश-दुनिया ने उनका रूप देखा ही है, इन दिनों वे एक शिक्षा-मित्र के तौर पर भी नज़र आ रहे हैं। इस बात का जि़क्र करने के लिए एक आयोजन विशेष का संदर्भ तो है ही, लेकिन

संतुलित विदेशनीति का बेहतरीन उदाहरण पेश करते मोदी !

याद्दाश्त को जरा पीछे ले जाएं तो अभी कुछ समय पहले की बात है, जब अमेरिका द्वारा येरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किया गया था, लेकिन उस समय भारत ने लगभग अप्रत्याशित ढंग से उस प्रस्ताव के विरोध में अपना मत दिया था। तत्कालीन दौर में इस निर्णय को देखते हुए मोदी सरकार की विदेशनीति को लेकर कई प्रश्न उठाए गए थे और कहा गया था कि इस सरकार की विदेशनीति