बरकती के फतवे से सवालों के घेरे में ममता सरकार और वामपंथी बुद्धिजीवी
कोलकाता के एक मस्जिद के कथित शाही इमाम बरकती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फतवा जारी किया । बरकती ने बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस में अपमानजनक फतवा जारी किया जिसके पीछे बैनर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बड़ी-सी तस्वीर लगी थी । बरकती ने हिंदी और अंग्रेजी में अपमानजनक फतवा जारी किया । यह मानना मेरे लिए मुमकिन नहीं है कि इस मसले की जानकारी पुलिस
भीम एप : नक़दी रहित अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा, भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
नये साल के तोहफे के रूप में मोदी सरकार ने भारत की जनता को एक ऐसा माध्यम दिया है, जिसके इस्तेमाल से न केवल नोट की समस्या का समाधान होगा बल्कि बैंक की कतार या बैंक जाने से ही राहत मिल सकती है । जाहिर है कि 8 नवंबर को मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा साहसिक कदम उठाया उसके बाद से ही विपक्ष ने सरकार के इस एतिहासिक फैसले को खोखला तथा विफल बताने की बेजा कोशिश में
डिजिटल आदान-प्रदान की दिशा में नयी क्रांति लाएगा भीम एप
सत्ता संभालते ही देश के लिए सकारात्मक दिशा में कदम उठाने में लगे हुए पीएम मोदी ने कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए नोटबंदी का कदम उठाया। नोटबंदी के बाद भारत को नक़दी रहित अर्थव्यवस्था की तरफ मोड़ने बनाने की कोशिश में लगे प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल पेमेंटिंग के लिए बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के नाम पर भीम एप्प लॉन्च किया। BHIM का अर्थ है भारत इंटरफेस फॉर मनी
भ्रम और नेतृत्वहीनता के भँवर में घिरी कांग्रेस
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक्त उस दौर से गुजर रही है जहां पार्टी नेतृत्व के सम्बन्ध में उसके नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में एक भ्रम और उलझन लक्षित किया जा सकता है । अपनी बीमारी और राहुल गांधी को आगे बढ़ाने की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्षा ने खुद को नेपथ्य में रखा था । उनके नेपथ्य में रहने की वजह से पुरानी पीढ़ी के नेता स्वत: परिधि पर चले गए थे और राहुल गांधी के आसपास के
विमुद्रीकरण : निर्णय एक आयाम अनेक
सचमुच अतुलनीय हैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। अनपेक्षित और चौकाऊ, हर कयास से परे, हर वह साहसिक फैसला लेने को हमेशा तैयार जिससे देश का कोई भला होने वाला हो, जिससे माँ भारती का भाल ज़रा और ऊँचा उठने वाला हो। देश भर में भाजपा-जन जब राजनीति में शुचिता के प्रतीक पुरुष श्री लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन मना रहे थे, उसी दिन भारत में आर्थिक स्वच्छता के एक बड़े कदम, या यूं कहें
नये सेनाध्यक्ष की नियुक्ति का बेजा विरोध कर रहे विपक्षी दल
पिछले दिनों से एक खतरनाक राजनीतिक प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। यह प्रवृत्ति है भारतीय सेना को सियासत में खींचने की। अपनी सियासी चाल के लिए सेना के इस्तेमाल की। आज़ादी के बाद से हमारे देश में सेना सियासत से ऊपर रही है। जिस तरह से विदेश नीति को लेकर कमोबेश सभी दल एक धरातल पर रहते हैं, उसी तरह से सेना को लेकर भी सभी दलों में लगभग मतैक्य रहता आया है। लेकिन अब
राहुल गाँधी की राजनीतिक अपरिपक्वता की भेंट चढ़ती कांग्रेस
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का नाम ऐसे नेताओं के नाम मे सम्मिलित किया जाना चाहिए जो पार्टी के लिए करना तो बहुत कुछ चाहते हैं, लेकिन हर बार कुछ न कुछ ऐसा कर देता है कि उनकी पार्टी को उनके कृत्यों पर न कुछ उगलते बनता और न ही कुछ निगलते बनता है। संसद का इस बार का शीतकालीन सत्र पिछले 15 वर्षों के इतिहास मे सबसे कम कामकाज वाले सत्र मे शामिल हो गया है। इस बार का पूरा
बहुत याद आयेंगे चो रामास्वामी
मोदी को मौत का सौदागर सबसे पहले 2007 में कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गांधी ने कहा था। लेकिन 2007 के पांच वर्ष बाद 2012 में एकबार फिर एक क्षण ऐसा आया जब किसी ने मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था। ऐसा कहने वाला कोई और नहीं नरेंद्र मोदी के अपने दोस्त और तमिल सप्ताहिक पत्रिका तुगलक के संपादक चो रामास्वामी थे। फर्क सिर्फ इतना था कि 2007 में सोनिया गांधी ने मोदी से नफरत में आकंठ डूबकर
निकाय चुनाव: नोटबंदी के निर्णय पर जनता की मुहर
आठ नवंबर को रात आठ बजे राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सौ और एक हजार के नोट बंद होने का फैसला सुनाकर सबको चौंका दिया था। इस बात को अब बीस दिन से ज्यादा हो गए हैं लेकिन आज भी यह विमर्श का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। हालांकि विमुद्रीकरण के फैसले के बाद से ही इसके पक्ष-विपक्ष में बहस शुरू हो गयी, जो अब भी चल रही है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस,
मोदी सरकार को किस मुँह से अर्थशास्त्र सिखा रहे हैं, मनमोहन सिंह ?
संसद में नोटबंदी पर जारी बहस में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आखिर अपनी बात रखी। चूंकि बतौर अर्थशास्त्री उनकी ख्याति विश्वस्तरीय है, इसलिए उम्मीद थी कि इस आर्थिक निर्णय का वे आर्थिक दृष्टि से मूल्यांकन करेंगे। लेकिन, अपने लगभग पंद्रह मिनट के वक्तव्य में मनमोहन सिंह ने जिस तरह से इस निर्णय की उसी अतार्किक ढंग और लीक जिसपर उनकी पार्टी के बाकी नेता चल रहे हैं, पर