जो मज़हब किसीके डांस करने या चेस खेलने से खतरे में पड़ जाता हो, उसे खत्म ही हो जाना चाहिए !
इस्लाम शायद ऐसा एकमात्र मज़हब है, जो आए दिन और बात-बेबात ख़तरे में पड़ता रहता है। किसी भी मुसलमान के गाना गाने, नाचने से लेकर बनाव-श्रृंगार करने तक से इस्लाम पर खतरा आ जाता है। फिर इसके स्वघोषित झंडाबरदारों द्वारा धमकी भरे फतवों का दौर शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं, अगर इन्हें राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ गाने को कह दो तो उससे भी अक्सर इनके इस्लाम पर संकट आ जाता है। राष्ट्रगान के कई शब्दों