धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मुस्लिमपरस्ती के कांग्रेसी खेल को अब जनता समझ चुकी है!
हाल ही में “इंकलाब” नामक उर्दू अखबार को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस “मुसलमानों” की पार्टी है। भले ही इस इंटरव्यू के बाद खंडन-मंडन का दौर चला हो, लेकिन इस बयान से राहुल गांधी की कांग्रेस का असली चरित्र ही उजागर होता है।
मोदी सरकार का राफेल सौदा कांग्रेस से बेहतर ही नहीं, सस्ता भी है!
राफेल विमान सौदे के सहारे कांग्रेस चुनावी उड़ान की रणनीति बना रही थी। फ्रांस के साथ हुए समझौते में घोटाले के आरोप लगाकर वह एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास कर रही थी। पहला, उसे लगा कि नरेंद्र मोदी सरकार पर घोटाले का आरोप लगा कर वह अपनी छवि सुधार लेगी। दूसरा, उसे लगा कि वह इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकेगी। लेकिन इस संबन्ध में नई
‘जो समझौता लागू करने की हिम्मत राजीव गांधी नहीं दिखा सके, उसे मोदी सरकार ने लागू किया है’
असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के दूसरे मसौदे को जारी कर दिया गया है। एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन किए 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं और इसमें 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। असम सरकार का कहना है कि जिनके नाम रजिस्टर में नहीं है, उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा।
एनआरसी प्रकरण : वोट बैंक के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने पर तुले हैं विपक्षी दल
असम के राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर प्रसंग पर संसद में हंगामा हतप्रभ करने वाला है। आंतरिक सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर तो राष्ट्रीय सहमति दिखनी चाहिए थी, जबकि इसमें सभी छुटे भारतीयों का नाम दर्ज होने तय है। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह आंतरिक सुरक्षा की जगह सियासत का मुद्दा है। जनगणना रजिस्टर पर भारत के नागरिकों के लिए कोई कठिनाई ही नहीं है।
राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता पर एक बड़ी मुहर साबित हुआ अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री के समक्ष पहुंचकर उन्हें कुर्सी से उठाने की कोशिश के साथ गले पड़कर प्रायोजित प्रहसन को अंजाम दिया, उससे न सिर्फ संसदीय गरिमा का क्षरण हुआ है, बल्कि राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता पर भी मुहर लगी है। हद तो तब हो गयी
विपक्ष बताए कि एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का औचित्य क्या था?
भारत के संसदीय इतिहास में विगत शुक्रवार का दिन कई मायने में ऐतिहासिक रहा। विपक्षी दलों द्वारा उस सरकार के खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने का दुस्साहस किया गया, जिसे भारत की जनता ने प्रचंड बहुमत से देश की कमान सौंपी है। एनडीए सरकार के खिलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का हश्र क्या होगा, इसको लेकर किसी के मन में कोई शंका नहीं रही होगी।
‘राहुल मुसलमानों को यह समझाना चाहते हैं कि कांग्रेस का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ सिर्फ एक मुलम्मा भर है’
इस देश में मुसलमानों के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार कौन है ? अगर आप सड़क पर चलते हुए किसी मुस्लिम शहरी से यह सवाल करें तो सस्वर एक ही नाम आएगा – कांग्रेस पार्टी। क्योंकि आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा शासन कांग्रेस का ही रहा है। सालों तक देश में दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर सरकार बनाने के बाद अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष
कांग्रेस आज जिस अहंकार से ग्रस्त दिखती है, उसकी जड़ें नेहरू के जमाने की हैं!
कल लोकसभा में तेदेपा द्वारा लाया गया और कांग्रेस आदि कई और विपक्षी दलों द्वारा समर्थित अविश्वास प्रस्ताव प्रत्याशित रूप से गिर गया। अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान में कुल 451 सांसदों ने मतदान किया जिसमें सरकार के पक्ष में 325 और विपक्ष में 126 मत पड़े। इस प्रकार 199 मतों से सरकार ने विजय प्राप्त कर ली। लेकिन इससे पूर्व अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा में पक्ष-
राहुल गांधी की अजीबोगरीब हरकतें ही कांग्रेस के लिए अविश्वास प्रस्ताव का हासिल हैं !
अविश्वास प्रस्ताव सरकार को परेशान करने वाला होता है, लेकिन इस बार उल्टा हुआ। सत्ता पक्ष को बड़े उत्तम ढंग से अपनी उपलब्धियां लोगों तक पहुंचाने का अवसर मिला। विपक्ष की पूरी रणनीति ध्वस्त हो गई। इनका प्रदर्शन एक हद तक अदूरदर्शी और हास्यास्पद ही साबित हुआ।
शिकंजी प्रकरण ने राहुल की अज्ञानता के साथ-साथ कांग्रेस की नाकामियों को भी उजागर किया है!
कांग्रेस में नई जान फूंकने की कवायद में जुटे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने विचित्र–विचित्र बयानों से सुर्खियां बटोरने में माहिर हैं। कांग्रेस के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने सशक्तीकरण का एक ऐसा फार्मूला सुझाया जो किसी के गले नहीं उतरा। उनके मुताबिक इस देश में हुनर की कद्र करने वाले नहीं हैं। यही कारण है कि यहां