कभी वंशवाद को समस्या कहने वाले राहुल गांधी अब उसे देश की पहचान बता रहे !
कथा सम्राट प्रेमचंद ने कहा था कि सिर्फ मूर्ख और मृतक अपने विचार नहीं बदलते हैं। भारतीय राजनीति में वंशवाद को लेकर हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेमचंद के इस कथन का साबित भी किया। अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक बातचीच में राहुल गांधी ने कहा कि भारत वंशवाद से ही चल रहा है। इसके लिए उन्होंने मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव से लेकर तमिलनाडु के नेता करुणानिधि के बेटे स्टालिन
बर्कले संबोधन : बड़बोलेपन में खुद ही खुद की पोल-पट्टी खोलते गए राहुल गांधी !
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले सप्ताह अपने अमेरिका दौरे को लेकर चर्चाओं में रहे। वहां यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले में उन्होंने अपना भाषण दिया जिसमें मोदी सरकार की योजनाओं की आलोचना की और खुद को पाक साफ बताया। उन्होंने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के तीन साल के कार्यकाल के दौरान हासिल सभी उपलब्धियों को लगभग नकारने के अंदाज में आड़े हाथों लिया। उन्होंने जो भी कहा वह
मोदी विरोध के चक्कर में विदेशी धरती पर देश की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचा बैठे, राहुल गांधी !
राहुल गांधी अपनी गोपनीय विदेश यात्रओं के लिए चर्चित रहे हैं। शुरू में कांग्रेस के प्रवक्ता कहते थे कि वह चिंतन-मनन के लिए विदेश गए हैं। लेकिन, लौटने के बाद चिंतन मनन का कोई प्रभाव नही दिखता था। राहुल पुराने अंदाज में ही रहते थे। इसके बाद प्रवक्ताओं ने इस दलील से तौबा कर ली। फिर उनके विदेश जाने पर बताया जाने लगा कि वह अपनी नानी से मिलने गए हैं। लेकिन, इसबार किसी को कुछ कहना नहीं
‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगाँठ पर भी अपनी नकारात्मक राजनीति से बाज नहीं आया विपक्ष !
भारत छोड़ो आंदोलन की पचहत्तरवीं वर्षगांठ देश के लिए अहम है। इस दिन राष्ट्र-हित के विषयों का चयन होना चाहिए था और उनके प्रति संकल्प का भाव व्यक्त होना चाहिए था जिससे खास तौर पर युवा पीढ़ी उन राष्ट्रीय मूल्यों को समझ सके जिनकी स्थापना हमारे स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानियों ने की थी। लोकसभा और राज्यसभा ने इस संबंध में अलग-अलग संकल्प पारित किए। मगर उसके पहले विपक्षी नेताओं ने
भारतीय राजनीति में क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है कांग्रेस ?
इतिहास के पन्नों को पलटें और इसके सहारे भारतीय राजनीति को समझने को प्रयास करें तो हैरानी इस बात पर होती है कि जो कांग्रेस पंचायत से पार्लियामेंट तक अपनी दमदार उपस्थिति रखती थी, आज वही कांग्रेस भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक हो गई है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि आज बिहार से लगाये कई राज्यों की सियासत गर्म है और इन सबमें में कांग्रेस कहीं गुम-सी नज़र आ रही है। बिहार में महागठबंधन
विपक्षी कब समझेंगे कि अंधविरोध की राजनीति के दिन अब लद चुके हैं !
2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की दीवार दरकती हुई नज़र आ रही है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विरोधी जितने ज्यादा मुखर हुए हैं, बीजेपी के सितारे उतने ज्यादा प्रखर हुए हैं। अच्छी बात यह है कि भारत की जनता इस बात को अच्छी तरह समझ गई है कि केंद्र की एनडीए सरकार सियासी एजेंडे को केंद्र में रखकर अपनी योजनाएं नहीं बना रही है, बल्कि इसके पीछे लोक-कल्याण
नेशनल हेराल्ड केस : आयकर विभाग की जांच से इतना घबरा क्यों रही है कांग्रेस ?
नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा यंग इंडियन कंपनी की जांच आयकर विभाग से कराए जाने का आदेश दिए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ गयी है। उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक अब कंपनी को अपने दस्तावेज आयकर विभाग को सौंपने ही होंगे। बता दें कि इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद सोनिया और
पस्त संगठन और मस्त नेताओं के बीच बदहाल कांग्रेस
2014 के बाद से जब भी कोई चुनाव होता है और उसमें कांग्रेस को हार मिलती है तो राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े होने लगते हैं । राजनीतिक विश्लेषकों के अलावा कांग्रेस के नेता भी उनके नेतृत्व को लेकर प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं, लेकिन संगठन की चूलें आदि कसने के नाम पर सवाल उठाने लगते हैं । इसमें कोई दो राय नहीं है कि राहुल गांधी में एक सौ तीस साल पुरानी पार्टी की अगुवाई को लेकर कोई स्पार्क
मोदी की भाषा पर सवाल उठाने से पहले अपनी गिरेबान में झांके कांग्रेस !
संसद का बज़ट सत्र चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सत्र में दोनों सदनों के समक्ष अपना वक्तव्य रखा। अबसे पूर्व सदन में प्रधानमंत्री के जो भी संबोधन हुए थे, उनमें प्रायः विपक्षी दलों के प्रति उदार दृष्टि और सहयोग का आग्रह ही दिखायी दिया था। किन्तु, उनके विनम्र और उदार संबोधनों का कांग्रेस-नीत विपक्ष पर कोई विशेष प्रभाव पड़ता कभी नहीं दिखा। हर सत्र में विपक्ष का अनावश्यक असहयोग कमोबेश
आतंरिक लोकतंत्र से विहीन कांग्रेस
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच एक बेहद अहम खबर दब सी गई । चुनाव आयोग ने देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को अपने आतंरिक चुनाव तीस जून तक करवाने का आदेश दिए हैं । चुनाव आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि अब इसको और टालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है । दरअसल 2015 के सितंबर से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी अपने आंतरिक चुनावों को टालने का अनुरोध दो