रोजगार पर जुमलेबाजी कर रहे हैं राहुल गांधी
एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने पर मार्च 2020 तक 22 लाख सरकारी पदों को भरने का चुनावी वादा कर दिया है, तो दूसरी ओर कांग्रेस के घोषणापत्र में हर साल 4 लाख सरकारी नौकरियां देने की बात कही गई है। ऐसे में राहुल गांधी अतिरिक्त 18 लाख नौकरियों की बात किस आधार पर कर रहे हैं?
आरबीआई द्वारा रेपो दर में कमी से अर्थव्यवस्था को और अधिक गति मिलने की संभावना
रिजर्व बैंक ने नये गवर्नर की अगुआई में रेपो दर में कटौती करके समीचीन फैसला किया है। अब बारी है बैंकों की। अगर बैंक कर्ज ब्याज दर में कटौती करते हैं तो इसका सीधा फायदा कर्जदारों को मिल सकता है साथ ही साथ इससे रोजगार सृजन में इजाफा तथा अर्थव्यवस्था को भी और अधिक गति मिल सकती है।
मोदी सरकार के प्रयासों से भारत की तरफ आकर्षित हो रहीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ
सरकार देश की आर्थिक एवं कारोबारी माहौल में सुधार लाने की कोशिश कर रही है, ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भारत पर भरोसा बढ़ सके। सरकार के प्रयासों के कारण ही कारोबार सुगमता के मामले में भारत ने हाल ही में एक लंबी छलांग लगाई है। फिलवक्त, भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों और ग्लोबल इनहाउस इकाइयों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
ये आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार की नीतियों से बढ़ रहे रोजगार के अवसर
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार वर्ष 2018 में बेरोजगारी की दर भारत में 3.5 प्रतिशत रहेगी, जबकि चीन में यह 4.8 प्रतिशत होगी। आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 1 से 2 दशकों में भारत के सेवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हुए हैं। इसके अनुसार भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया और नेपाल में असंगठित क्षेत्र में करीब 90 प्रतिशत कामगार हैं, जिसमें
नोएडा में शुरू हुई दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री, पैदा होंगे रोजगार के भारी अवसर
संविधान के अनुसार सरकार में निरन्तरता होती है। प्रकृति और प्रजातन्त्र के आधार पर व्यक्ति और दल में बदलाव होता रहता है। इसी में विकास की भावना भी समाहित है। यदि कोई सरकार पांच वर्ष में आधे अधूरे कार्यो, शिलान्यास या एमयूएम तक सीमित रहती है, तो इनको पूरा करना अगली सरकार की जिम्मेदारी होती है। यह निरन्तरता के सिद्धांत का तकाजा है।
रोजगार सृजन के लिए स्टार्टअप इंडिया को और सरल बनाने में जुटी सरकार !
सरकार “स्टार्टअप इंडिया” के लिये पूँजी जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाने जा रही है। इस योजना की सफलता के लिये सरकार “स्टार्टअप इंडिया” शुरू करने वाले कारोबारियों को राहत देने की तैयारी कर रही है। आयकर विभाग और उद्योग मंत्रालय मिलकर “स्टार्टअप इंडिया” में लगने वाले एंजेल टैक्स में राहत देने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे “स्टार्टअप इंडिया” की राह में आने वाली मुख्य समस्या, जो पूँजी की
पकौड़े पर राजनीति छोड़ कांग्रेस यह बताए कि साठ सालों में बेरोजगारी ख़त्म क्यों नहीं हुई ?
रोजगार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पकौड़े के उदाहरण वाले बयान पर संसद से सड़क तक सियासत जारी है। कोई पकौड़े तल रहा है, तो कोई रेहड़ी पर पकौड़ा बेचकर अपनी सूखती राजनीति को पानी देने की कवायद में जुटा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पकौड़ा ब्रेक ले रहे हैं। लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि विपक्ष का कोई नुमाइंदा यह नहीं बता रहा है कि बेरोजगारी की समस्या ने इतना विकराल कैसे धारण किया? देखा जाए
पकौड़ा प्रकरण : क्या देश के सभी छोटे व्यवसायी भीख मांग रहे हैं, चिदंबरम साहब !
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने चाय बेचने को लेकर मजाक बनाया था। इसके बाद कांग्रेस खुद मजाक बन गई थी। इस बार उसने पकौड़े पर मजाक बनाया है। कांग्रेस का राजनीतिक स्तर तो गिरा हुआ है ही, विरोध का यह तरीका कांग्रेस के वैचारिक स्तर को भी गिराता है। इसका लाभ नहीं, नुकसान ही होता है। बात नरेंद्र मोदी या भाजपा तक सीमित हो तो उस पर आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन, ऐसे बयानों में देश
मोदी सरकार के सुधारों से अपने लक्ष्यों को पाने में कामयाब हो रही मनरेगा योजना !
मोदी सरकार ग्रामीण क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिये शिद्दत के साथ कोशिश कर रही है। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को मजबूत बनाना सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिये सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिये पूरक मांग के द्वारा बजट आवंटन में बढ़ोतरी की थी, जिससे वित्त वर्ष 2016-17 में मनरेगा के तहत कुल रोजगार सृजन 235.77 करोड़ व्यक्ति
युवाओं को ‘रोजगार मांगने वाले’ से ‘रोजगार देने वाले’ बना रही मोदी सरकार !
बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वालों की कमी नहीं है लेकिन वे यह नहीं देख रहे हैं कि मोदी सरकार युवाओं को “रोजगार मांगने वाले” से “रोजगार देने वाले” में बदल रही है। मोदी सरकार ने हर साल जिन एक करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा है, वे वेतनभोगी प्रकृति की नहीं हैं। दरअसल मोदी सरकार का मुख्य बल प्रक्रियागत खामियों को दूर कर ऐसा वातावरण बनाने का है, जिसमें युवा वर्ग