सेक्युलर बुद्धिजीवियों की नजर में शायद संघ-भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या माफ़ है !
उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की हत्या को अभी एक सप्ताह भी नहीं बीते होंगे कि अब कर्नाटक में भाजपा के एक दलित कार्यकर्ता की हत्या उसी मानसिकता ने कर दी है, जिसके लिए चंदन के हत्यारे दोषी हैं। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की राजनीति किसी भी मायने में साम्य नही रखती, परंतु जब एक सम्प्रदाय विशेष के सामूहिक व्यवहार और
वामपंथी हिंसा का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता आनंद, पी. विजयन के शासन में चौदहवीं हत्या
केरल में राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध पिन्नाराई सरकार की शह पर वामपंथियों के द्वारा लगातार की जा रही घात-प्रतिघात की राजनीति के विरुद्ध भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में चली जनरक्षा यात्रा को अभी 1 महीने भी नहीं पूरे हुए थे कि संघ का एक और स्वयंसेवक फिर से वामपंथियों की रक्तरंजित राजनीति का शिकार हो गया है। त्रिसूर जिले के अंतर्गत नेन्मेनिक्करा निवासी संघ के कार्यकर्ता आनंद (26) की हत्या
गौरी लंकेश की हत्या पर बोलने वाले बुद्धिजीवी केरल की वामपंथी हिंसा पर मुंह में दही क्यों जमा लेते हैं?
300 से अधिक राजनीतिक हत्याएं और हजारों लोग हिंसा के शिकार। चौंकाने वाला आंकड़ा है। मगर, यह आंकड़ा न तो कुख्यात आतंकवादी संगठन आइएस प्रभावित इराक या सीरिया का है और ना ही तालिबान प्रभावित किसी देश का है। यह आंकड़ा उस देश का है, जहाँ एक वामपंथी और घोषित रूप से हिंदुत्व विरोधी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर ऐसा बवाल मचाया जाता है कि मानों देश में सब कुछ असुरक्षित है। वहीं
केरल की वामपंथी हिंसा पर कब टूटेगी ‘असहिष्णुता गिरोह’ की खामोशी ?
केरल में आए दिन हो रही राजनीतिक हत्याओं से एक सवाल उठना लाजिमी है कि भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में क्या असहमति की आवाजें खामोश कर दी जाएगी? एक तरफ वामपंथी बौद्धिक गिरोह देश में असहिष्णुता की बहस चलाकर मोदी सरकार को घेरने का असफल प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर उनके समान विचारधर्मी दल की केरल की राज्य सरकार के संरक्षण में असहमति की आवाज उठाने वालों को मौत के
केरल में संघ-भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर कब टूटेगी मानवाधिकारवादियों की खामोशी ?
केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के कार्यकताओं के कत्लेआम का सिलसिला बदस्तूर जारी है। लोकतंत्र में मतभेद संवाद से दूर होते हैं, हिंसा के सहारे विरोधियों का खात्मा नहीं किया जाता। राजनीतिक हिंसा तो अस्वीकार्य है ही। पर, केरल में लेफ्ट फ्रंट सरकार को यह समझ नहीं आता। केरल में भाजपा और संघ के जुझारू और प्रतिबद्धता के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नियमित रूप से होने वाली नृशंस
सीपीएम के कन्नूर मॉडल का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता बीजू
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक और कार्यकर्ता की हत्या केरल के कन्नूर में शुक्रवार दिनांक 13 मई को गला रेत कर, कर दी गयी है। चूराक्कादु बीजू (35) की निर्मम हत्या कन्नूर के पय्यानुर उपनगरीय इलाके में सी.पी.एम. से ताल्लुक रखने वाले राजनैतिक प्रतिरोधियों ने कर दी। यह घटना शुक्रवार शाम 3 बजे के लगभग उस समय घटित हुई जब बीजू अपनी मोटर साइकिल से अकेले कहीं जा रहे थे। पलमकोड पुल के निकट उनकी
केरल की वामपंथी हिंसा का जवाब देने के लिए अब मिशन मोड में भाजपा
ईश्वर की धरती कहलाने वाला केरल दानव की धरती बन चुकी है। संघ और भाजपा के कार्यकर्ता यहाँ लगातार वामपंथी गुंडों का निशाना बन रहे हैं। मगर, इसपर मीडिया से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक खामोशी पसरी है। क्या केरल में मारे जाने वाले इंसान नहीं हैं? क्यों केरल में हो रही हत्याओं पर कथित प्रगतिशील लेखक बिरादरी अपने पुरस्कार वापस नहीं करती?
लाल आतंक : केरल में वामपंथी हिंसा का शिकार हुए भाजपा नेता रवींद्रनाथ
अभी सी.पी.एम. के कार्यकर्ताओं के हाथों केरल भाजपा के युवा कार्यकर्ता निर्मल (20) की हत्या के एक सप्ताह भी नहीं बीते कि यहाँ एक और भाजपा नेता की मौत मार्क्सवादी हिंसा में हो गयी है। भाजपा के कडकल पंचायत समिति के अध्यक्ष एवं सेवानिव्रित पुलिस इंस्पेक्टर रवींद्रनाथ (58) दिनांक 2 फ़रवरी को मार्क्सवादियों के घातक हमले में घायल हो गए थे। उनके सर पर गंभीर चोटें आई थीं। इस चोट के कारण
केरल में नहीं थम रही संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रति वामपंथी हिंसा, फिर हुई हत्या
केरल में पिनाराई विजयन के नेतृत्व में चल रही वाम गठबंधन की सरकार अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा की जा रही हिंसा पर लगाम लगाने में लगातार नाकामयाब हो रही है। अपितु हिंसा और दमन का चक्र अब इस ओर इशारा करने लगा है कि सी.पी.एम. के शीर्ष नेताओं के शह पर ही ये घटनाएं हो रही हैं। दिनांक 13 फ़रवरी को अहले सुबह चार – साढ़े चार बजे के करीब भाजपा युवा मोर्चा के 20 वर्षीय कार्यकर्ता की हत्या
लाल आतंक : केरल में बढ़ती वामपंथी हिंसा, निशाने पर संघ और भाजपा के कार्यकर्ता
‘ईश्वर का अपना घर’ कहा जाने वाला प्राकृतिक संपदा से सम्पन्न प्रदेश केरल लाल आतंक की चपेट में है। प्रदेश में लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। केरल वामपंथी हिंसा के लिए बदनाम है, लेकिन पिछले कुछ समय में हिंसक घटनाओं में चिंतित करने वाली वृद्धि हुई है। खासकर जब से केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की सरकार आई