अयोध्या में साकार हुआ त्रेतायुग का दीपोत्सव
प्रभु राम के वियोग में अयोध्या के लोग भी चौदह वर्ष तक बेचैन रहे थे। इन सभी को वनवास की समाप्ति और प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा थी। ज्यों ज्यों यह समय निकट आ रहा था, जनमानस की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। भरत जी ने चित्रकूट में प्रभुराम से कहा था कि यदि वनवास के बाद निर्धारित अवधि तक आप वापस अयोध्या नहीं आये तो वह अपना जीवन ही समाप्त कर लेंगे।
सरकारी पूँजीगत व्यय में वृद्धि से विकास को मिलेगी गति
पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्र सरकार के सभी विभागों और सावर्जनिक क्षेत्र की गैर-बैंकिंग कंपनियों के प्रमुखों से अगली चार तिमाहियों में अपनी पूंजीगत व्यय की जरूरतों का पूरा खाका तैयार करने को कहा गया। वित्त मंत्री ने सभी विभागों और सावर्जनिक क्षेत्र की गैर-बैंकिंग कंपनियों के प्रमुखों से अगली चार तिमाहियों के लिए पूंजीगत व्यय की उनकी योजना
योगी सरकार के ढाई वर्षों में चहुँमुखी विकास के पथ पर उत्तर प्रदेश
योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले प्रदेश के माहौल को सुधारने का कार्य किया। अन्य सुधार भी इसी से जुड़े थे। योगी ने इस तथ्य को समझ लिया था। इसी के अनुरूप उन्होंने सुशासन की स्थापना को प्राथमिकता दी। इसके बाद बिजली और सड़क को महत्व दिया। डिफेंस कॉरिडोर में पच्चीस हजार करोड़ रुपये के निवेश का निर्णय लिया गया।
इन्वेस्टर्स समिट : न्यू इंडिया की दिशा में सर्वाधिक योगदान देने की कोशिश में जुटा उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट पिछली सरकारों के समय भी बहुत जोर शोर से होती रही है और उनमें देश के शीर्ष उद्योगपति शामिल होते रहे हैं। इसके माध्यम से प्रदेश के औद्योगिक विकास का सपना भी दिखाया जाता रहा है, लेकिन इस समिट से जमीनी स्तर पर कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं हुई।
‘भाजपा की चुनावी सफलता का सबसे बड़ा कारण मोदी सरकार के विकास कार्य हैं’
अब तक की सरकारें चुनावों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाती रही हैं। यही कारण है कि इन योजनाओं का स्वरूप दान-दक्षिणा वाला ही बना रहता था। मोदी सरकार ने पहली बार समाज के वंचित तबकों को हर तरह से सशक्त बनाने का काम किया।
नीति आयोग की बैठक में योगी के सार्थक प्रस्ताव
नीति आयोग के माध्यम से राज्यों के बीच विकास की स्वस्थ प्रतिद्वंदिता प्रारंभ करने की कल्पना की गई थी। योगी ने इसे चरितार्थ किया। उन्हीं की तरह अनेक मुख्यमंत्री भी इस दिशा में बेहतर कार्य करने में सफल रहे। वहीं जिनको विकास की अपेक्षा वोटबैंक की सियासत ज्यादा पसंद थी, वह उसी में उलझे रहे।
ये मोदी के नए भारत का जनादेश है!
यह जनादेश मोदी के नए भारत का जनादेश है, जिसमें जाति-पाति, क्षेत्र, वर्ग, भाषा, परिवारवाद आदि की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं, बल्कि इसके मूल में भारत को सुविकसित विश्वशक्ति बनाने की भावना है। लोगों को मोदी की योजनाओं और नीतियों में भारत-निर्माण की उस अवधारणा के दर्शन हो रहे हैं, जिसमें सब एक समान हैं और किसीके प्रति कोई भेदभाव नहीं है।
मोदी राज में बढ़ रही भारतीयों की क्रय क्षमता, कम हो रही गरीबी
वित्त वर्ष 2005-06 से लेकर 2015-16 के दौरान यानी 10 सालों में गरीबी दर घटकर आधी रह गई है। गरीबी दर पहले 55 प्रतिशत थी, जो घटकर अब 28 प्रतिशत हो गई है। गरीबी मापने वाले सूचकांक में आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण आदि 10 संकेतकों को शामिल किया जाता है। गरीबी मापने वाले सूचकांक के अनुसार इन 10 सालों में 27.1 करोड़ लोग गरीबी की दलदल से बाहर
उनसठ मिनट में कर्ज से एमएसएमई उद्योगों के विकास को मिल रही गति
क्रेडिट सुइस द्वारा 1 मार्च, 2019 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि (https://www.psbloansin59minutes.com) ऑनलाइन लोन पोर्टल अपने आगाज के 3 महीनों के अंदर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) को कर्ज उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया है। वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक सहित 21 कर्जदाता इस पोर्टल के माध्यम से एमएसएमई कारोबारियों को कर्ज उपलब्ध करा रहे हैं।
प्रयागराज : कुम्भ से प्रवाहित हुई विकास की धारा
कुंभ का ऐतिहासिक महत्व विश्व प्रसिद्ध है। इस प्रकार का आयोजन अन्यत्र कहीं भी नहीं होता है। यह उचित है कि प्रत्येक सरकारें अपने स्तर पर इसके निर्बाध आयोजन का प्रयास करती रही हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसे यहीं तक सीमित नहीं रखा। उसने अपने को भावनात्मक रूप से भी कुम्भ से जोड़ा है। यह अंतर तैयारियों में भी दिखाई दिया।