राजनीतिक सूर्यास्त की ओर अग्रसर वाम दल
आज देश में वामपंथ का राजनीतिक सूर्यास्त हो रहा है तो इसके लिए उनकी जनविरोधी नीतियां ही जिम्मेदार हैं।
देश की राजनीति की दिशा तय करेंगे पांच राज्यों के चुनाव
वर्तमान परिस्थितियों में इन राज्यों के चुनाव परिणाम ना सिर्फ इन राजनैतिक दलों का भविष्य तय करेंगे बल्कि काफी हद तक देश की राजनीति का भी भविष्य तय करेंगे।
मोदी सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर हैं चुनावी नतीजे
बिहार के साथ-साथ इन उपचुनावों के नतीजों को नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल की नीतियों, उपलब्धियों पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है।
बिहार चुनाव : पराजितों का ईवीएम राग शुरू
ईवीएम राग के गायन का एक लाभ यह है कि पराजित दल व नेतृत्व आत्मचिंतन से साफ बच निकलता है। पराजय का पूरा ठीकरा ईवीएम पर फोड़ कर वह निश्चिंत हो जाता है।
लालू-राबड़ी शासनकाल के किन-किन गुनाहों के लिए माफी मांगेंगे तेजस्वी यादव!
इन दिनों बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लालू-राबड़ी यादव के पुत्र तेजस्वी यादव सूबे में घूम घूम कर जनता से माफी मांग रहे हैं। दरअसल तेजस्वी यादव यह माफीनामा लालू-राबड़ी के कुशासन के अपराधबोध से ग्रस्त होकर नहीं मांग रहे हैं।
एग्जिट पोल में महाराष्ट्र-हरियाणा में फिर भाजपा सरकार, विपक्ष की हालत पस्त
सबसे पहले ये बता देना ज़रूरी है कि एग्जिट पोल्स नतीजे नहीं होते, नतीजों के रुझान भर होते हैं। इसी लिहाज़ से हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों को भी देखा जाना चाहिए, जहाँ विधानसभा के लिए संपन्न हुए चुनाव में विपक्ष की हालत लचर ही दिख रही है। अभी तक जितने भी एग्जिट पोल्स आये हैं, उनका इशारा साफ़ है कि विपक्ष का प्रदर्शन पहले के मुकाबले और ज्यादा गिरा है।
सिमटते दायरे के बावजूद आत्ममंथन से कतराती कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। 2017 में जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तब देश को उम्मीद थी कि अब कांग्रेस में एक नए युग का सूत्रपात होगा और पार्टी पुरानी सोच से आगे बढ़ेगी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया
ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है!
देश के दो अहम राज्य महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी प्रक्रिया अपने मध्यान्ह पर है। यहाँ के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने सियासत के समीकरणों को साधने के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की प्रक्रिया को भी लगभग पूरा कर लिया है। गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को एक ही चरण में दोनों राज्यों में मतदान होगा और 24 अक्टूबर को परिणाम हमारे सामने होंगे। ऐसे में अब चुनाव प्रचार के लिए 15 दिन का समय शेष रह गया है।
‘इन चुनावों में कांग्रेस की नहीं, उसकी कुटिल नीतियों की जीत हुई है’
तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को कांटे की टक्कर के साथ मिली पराजय ने कांग्रेस पोषित मीडिया और बुद्धिजीवियों को 2019 के लोक सभा चुनाव की भविष्यवाणी करने का मौका दे दिया। ये लोग यह नहीं देख रहे हैं कि इन चुनावों में कांग्रेस की नहीं बल्कि उसकी कुटिल नीतियों की जीत हुई है। कांग्रेस इस कड़वी हकीकत को जानती है कि युवा बेरोजगारों को सरकारी
कांग्रेस के लिए जीवन-मरण का प्रश्न हैं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा के साथ ही सत्ता का सेमिफाइनल शुरू हो गया है। रणभेरियाँ बज चुकी हैं। वैसे तो यह राज्यों का चुनाव है, लेकिन इन्हीं प्रदेशों की राजधानियों से निकलकर आगे रास्ता दिल्ली के लिए जाएगा। इन पाँचों राज्यों में मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव पर सबकी विशेष नजर है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में