‘हिन्दू चिंतन-दर्शन का अलग रूप है, तो यह हिन्दुओं के जीवन में दिखना भी चाहिए’
भारतीय चिंतन व ज्ञान में विश्व कल्याण की कामना समाहित रही है। तलवार के बल पर अपने मत के प्रचार की इसमें कोई अवधारणा ही नहीं है। सवा सौ वर्ष पहले स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में भारतीय संस्कृति के इस मानवतावादी स्वरूप का उद्घोष किया था। यह ऐतिहासिक भाषण शिकागो की पहचान से जुड़ गया। इसकी एक सौ पच्चीसवीं जयंती पर शिकागो में विश्व